कैंसर एक ऐसी भंयकर बीमारी है जिसके इलाज में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं। गरीब परिवार तो शायद इतना बड़ा खर्च झेल भी नहीं पाता। आम तौर पर किसी भी प्राइवेट अस्पताल में कैंसर के इलाज में कम से कम 15 लाख रुपए का खर्च आता है। लेकिन असम के सिलचर (Silchar) में डॉ. रवि कन्नन (Dr. R Ravi Kannan) मात्र 1 लाख रुपए में कैंसर के मरीजों का इलाज कर देते हैं। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 2023 का रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड (Raman Magsaysay Award 2023) से नवाजा गया है।

एशिया का नोबेल (Nobel of Asia) कहे जाने वाले पुरस्कार से डॉ. रवि कन्नन सम्मानित 

भारत के कैंसर एक्सपर्ट डॉ. रवि कन्नन 2007 से असम के कछार कैंसर हॉस्पिटल एंड रीसर्च सेंटर (CCHRC) के डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। वो कैंसर जैसी बड़ी बीमारी को कम लागत में ठीक कर देते हैं। यहीं वजह है कि उन्हें एशिया का नोबेल कहे जाने वाले पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

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काफी अध्ययन करने के बाद डॉ कन्नन ने कम पैसे में कैंसर की बीमारी का इलाज करने का विचार किया। इसलिए उन्होंने सिलचर जैसी छोटी जगह को चुना।

जेनेरिक दवाओं से कैंसर का इलाज 

जब साल 2007 में डॉ कन्नान ने कम लागत में कैंसर के मरीजों का इलाज करना शुरु किया उस वक्त  कछार कैंसर हॉस्पिटल एंड रीसर्च सेंटर (CCHRC) के पास पैसे नहीं थे और ना ही मरीजों के पास पैसे थे। ऐसे वक्त में अस्पताल ने जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल करना शुरु किया। सभी मरीजों को अस्पताल के जनरल वॉर्ड में भी इलाज देना पड़ा, क्योंकि इतने कम खर्च में प्राइवेट वॉर्ड का खर्च मरीज वहन नहीं कर सकते थे।

गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज के साथ-साथ मुफ्त खाना भी 

इस अस्पताल में मामूली वेतन पर  20 डॉक्टर और 450 के करीब सपोर्ट स्टाफ मरीजों का इलाज करते हैं। अस्पताल में हर दिन 5 हजार मरीज आते हैं। गरीबों के लिए मुफ्त इलाज और भोजन का इंतजाम है। जो मरीज इलाज का पूरा खर्च नहीं उठा पाते, उनके परिजनों को अस्पताल में ही काम दिया जाता है, ताकि उस काम के एवज में मिलने वाले पैसों से वे मरीज का इलाज करवा सकें।