नई दिल्ली। केंद्र सरकार अपने सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास में लगी हुई है। इस कड़ी में सरकार ने दवाइयों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब सरकार दवाइयों की सार्वजनिक खरीद में घरेलू दवाओं को अधिक तरजीह देगी। मौजूदा वित्त वर्ष में दवाइयों की सरकारी खरीद में कम से कम 75 फीसदी की खरीद लोकल कंपोनेंट वाली दवाओं को ही दी जाएगी। सरकार का प्लान साल 2023-25 तक इसे बढ़ाकर 90 फीसदी तक करना है। इससे आम आदमी को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वो अब देश में बने लोकल कंपोनेंट वाली दवाओं को इस्तेमाल कर सकेंगे। साथ ही लोकल फार्मा कंपनियों को भी कारोबार को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। औषधि विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि इस तरह की दवाओं में स्थानीय अवयवों को साल 2019-21 तक 15 फीसदी, 2021-23 तक 20 फीसदी और 2023-25 तक 30 फीसदी तक बढ़ा दिया जाएगा। इसका मतलब है कि साल 2023-25 तक जिन दवाओं को भारत में तैयार किया जाता है, उन्हें भारत सरकार तभी खरीदेगी जब उनमें 30 फीसदी तक स्थानीय अवयवों का इस्तेमाल किया जाएगा। साल 2019-21 में यह 80 फीसदी तक, साल 2021-23 में 85 फीसदी और साल 2023-25 में इसे बढ़ाकर 90 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा।