चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को केंद्र से आग्रह किया कि स्पाइनल एंड मस्कुलर एट्रोफी (मेरुदंड और मांसपेशियों के अपक्षय) के इलाज में उपयोगी जीवन रक्षक दवाओं के आयात पर सीमा शुल्क, एकीकृत जीएसटी और अन्य कर से छूट देने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। स्टालिन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में कहा कि इस तरह की बीमारी से प्रभावित बच्चों के लिए जीन-थेरेपी (वंशाणु-उपचार) आदर्श स्थिति में बच्चे के दो साल की उम्र तक पहुंचने से पहले शुरू हो जाना चाहिए और इस थेरेपी की लागत प्रति व्यक्ति 16 करोड़ रुपये से अधिक है।

एसपीए अति बिरली बीमारी है, जिससे उन तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जो मस्तिष्क से मांसपेशियों तक विद्युत संकेतों को ले जाती हैं।उन्होंने कहा कि अस्पताल जीन-थेरेपी के लिए दवाएं आयात कर रहे हैं और तमिलनाडु में सालाना 90-100 ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपचार इलाज काफी महंगा है और इस विकार से प्रभावित बच्चों के माता-पिता के लिए इलाज का खर्च उठाना काफी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि इन दवाओं का आयात किया जाता है, इसलिए इन पर लगने वाले सीमा शुल्क और एकीकृत जीएसटी से जीन-थेरेपी की लागत और बढ़ जाती है।’’