नई दिल्ली। सरकार ने कैंसर, मधुमेह और अस्थमा जैसे कई रोगों की 78 दवाएं सस्ती कर दी हैं। कैंसर के इलाज में काम आने वाली गैर-अनुसूचित 42 दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का फैसला लिया गया है। इसमें व्यापार मार्जिन 30 प्रतिशत पर नियत किया गया है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने कीमत नियंत्रण आदेश, 2013 के पैरा 19 के तहत जनहित में असाधारण शक्तियों का उपयोग कर कैंसर के इलाज में उपयोगी गैर-अनुसूचित 42 कैंसर दवाओं को व्यापार मार्जिन युक्तिसंगत बनाकर मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का फैसला किया है। औषधि विभाग ने एक अधिसूचना में कहा कि इसके तहत सरकार 42 गैर-अनुसूचित दवाओं के व्यापार मार्जिन को 30 प्रतिशत पर नियत करती है और विनिर्माताओं को उत्पाद की पहले बिक्री बिंदु के आधार पर खुदरा मूल्य तय करने को कहा गया है। एनपीपीए के अनुसार इससे 105 ब्रांड का एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) 85 प्रतिशत कम होगा। इससे ग्राहकों को 105 करोड़ रुपए की बचत होगी। फिलहाल अनुसूचित श्रेणी के तहत कैंसर के इलाज में उपयोगी 57 दवाएं कीमत नियंत्रण दायरे में हैं। दूसरी तरफ एनपीपीए ने कैंसर, मधुमेह, संक्रमण, अस्थमा, दर्द समेत अन्य बीमारी के इलाज में उपयोगी 36 दवाओं की कीमतें तय की हैं। एक अधिसूचना में एनपीपीए ने कहा कि उसने 22 दवाओं की खुदरा कीमतें तय की हैं तथा 14 की उच्च कीमतों को संशोधित किया है। जिन दवाओं की कीमतों को संशोधित किया गया है, उसमें बुडेसोनाइड इनहेलेशन तथा जेंटामाइसिन इंजेक्शन शामिल हैं। जहां बुडेसोनाइड का उपयोग अस्थमा के इलाज में किया जाता है वहीं जेंटामाइसिन का उपयोग कीटाणुओं के संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा जिन अन्य दवाओं के खुदरा दाम नियत किए गए हैं, उसमें ट्रास्टुजुमाब इंजेक्शन (कैंसर के इलाज में उपयोगी) तथा मेटफोरमिन के साथ ग्लिकलाजाइड टैबलेट (डायबिटीज टाइप 2 के इलाज के लिये) शामिल हैं। एनपीपीए औषधि (कीमत नियंत्रण) आदेश, 2013 के तहत अनुसूची एक के अंतर्गत आने वाली जरूरी दवाओं के खुदरा मूल्य को नियत करता है।