चंडीगढ़। सेक्टर-32 स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में निजी मेडिकल स्टोर पर सरकारी सप्लाई का इंजेक्शन बेचे जाने का मामला सामने आया है। मरीज ने जब 2100 का इंजेक्शन 700 में खरीदा तो उसे कुछ शक हुआ और उसने डिब्बे पर नॉट फॉर सेल की मुहर देख तत्काल इसकी शिकायत डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. बीएस चवन से की। हॉस्पिटल प्रशासन फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान देने की बजाय जांच का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहा है। जानकारी अनुसार जीएमसीएच के ब्लॉक बी स्थित शिव मेडिकोज में एक मरीज श्यामलाल ने एंटीबायोटिक वेन आइएमसी इंजेक्शन खरीदा। इसका मार्केट प्राइस 2100 रुपये है। दुकान वाले ने ये इंजेक्शन उसे 700 में बेचा। मरीज ने इसका बिल मांगा तो उसे बैच नंबर के साथ इसका बिल भी दे दिया। इंजेक्शन का बैच नंबर बीडी शून्य दो 9 डी है। मामला सामने आते ही दुकानदार और हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीज पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, लेकिन मरीज ने अपनी शिकायत वापस नहीं ली। उसने डायरेक्टर प्रिंसिपल से मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है। जीएमसीएच के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. बीएस चवन का कहना है कि मामला मेरे संज्ञान में है। बेचे गए इंजेक्शन और उसके बिल को ले लिया गया है। इसकी जांच शुरू कर दी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई होगी।
जीएमसीएच में प्राइवेट दवा दुकान पर सरकारी दवा और इंजेक्शन की बिक्री के मामले पूर्व में भी कई बार सामने आ चुके हंै, लेकिन कॉलेज प्रशासन लगातार ऐसे मामलों पर पर्दा डाले हुए है। डॉक्टरों और कर्मचारियों का कहना है कि कॉलेज प्रशासन की मिलीभगत से दवा की दुकान वाले बड़े आराम से अपना बिजनेस चमका रहे हैं। दरअसल, वे जानते हंै कि पकड़े जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होगी। हॉस्पिटल प्रशासन महज कुछ पैसों के कमीशन के लिए गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मिलने वाली सरकारी दवा को खुलेआम खुलेआम बाजार में बेच रहा है।