मेरठ। चीन में कोरोना वायरस के कोहराम के चलते देश-दुनिया को वहां से होने वाले रॉ मैटीरियल (साल्ट आदि) की जो सप्लाई प्रभावित हुई थी, वह अभी तक बहाल नहीं हो पाई। यूपी, उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों में रॉ मैटीरियल के अभाव में अब दवाओं का उत्पादन प्रभावित होने लगा। दवा कारोबारियों का कहना है कि देश-दुनिया में यदि हालात नहीं सुधरे तो फिर दवा का संकट पैदा होगा। ऐसे में गरीब रोगियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। कोरोना वायरस ने देश के फार्मा उद्योग को अपनी चपेट में ले लिया है। वायरस के प्रकोप के बाद से चीन से दवाओं के कच्चे माल की सप्लाई बंद हो गई थी, जो अभी तक बाधित है और अभी बहाल होने की उम्मीद भी नहीं है। दवाओं का निर्माण करने वाली विभिन्न फार्मा कंपनियों में 40 फीसदी से अधिक कच्चे माल का स्टॉक खत्म हो गया है। दवा निर्माता आशंका जता रहे हैं कि यदि जल्द चीन से कच्चा माल की आपूर्ति सुचारू नहीं हुई तो दवा उत्पादन पर संकट आ सकता है। कई उद्योगों में उत्पादन ठप पड़ जाएगा। दवा उद्योग से जुड़े कारोबारियों की मानें तो इन दिनों उद्योग अपने पास स्टॉक से ही काम चला रहे हैं। आने वाले समय में बीपी, शुगर, हार्ट, कैंसर समेत जीवनरक्षक दवाओं की बाजार में किल्लत हो सकती है। चीन से आपूर्ति न होने से फार्मा उद्योगों को संकट से जूझना पड़ेगा। यूरोप से कच्चा माल आयात किया तो दवाओं के दामों में भी वृद्धि होगी। दवा कारोबारी कहते है कि मास्क और सैनिटाइजर का स्थानीय स्तर पर इकाईयों में काम शुरू हुआ तो इसकी आपूर्ति होने लगी। इस समय बाजार में मास्क और सैनिटाइजर की स्थिति सामान्य है। जल्द ही दवाओं की कमी का भी समाधान हो जाएगा।