पठानकोट। कोरोना संक्रमण काल में दवा कारोबार पर बड़ी मार पड़ी है। जिला पठानकोट में दवा बिक्री में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। मरीजों के अस्पतालों में कम आने के कारण अस्पतालों एवं क्लीनिकों में कमी आई है। जिन अस्पतालों में पहले मरीजों की भारी भीड़ देखी जाती थी। उन्हें इन दिनों खाली देखा जा सकता है। संक्रमण की आशंका से सामान्य दिनों की तरह रोगियों ने क्लीनिकों की तरफ रूख नहीं किया। यहां तक कि सर्जरी की जरूरत वाले मरीजों ने का इलाज भी बाधित हुआ। हालांकि, लोग मेडिकल स्टोर से दवाएं तो खरीद रहे हैं लेकिन ओपीडी के हिसाब से इनकी बिक्री कम हो गई है। कोरोना महामारी में अस्पताल अपनी तरफ से हर तरह की एहतियात बरते रहे हैं। दूसरी ओर, लोगों में अभी भी आपात उपचार में ही अस्पतालों में आने का क्रम यथावत बना हुआ है। अभी तक उपजे हालातों से दवा कारोबार को भी राहत मिली नहीं दिख रही है। यदि बात करें कैमिस्टों की तो पठानकोट जिले में 350 केमिस्ट हैं। दवाओं का एक माह में अनुमानित कारोबार करी 15 करोड़ हंै लेकिन, लॉकडाउन के बाद दवा कारोबार में गिरावट 40 फीसद की गिरावट आई है। दवाओं की बिक्री कम हो रही है। डॉक्टरों और रोगियों को कोरोना वायरस का अभी भी भय बना हुआ है। अपनी सेवाओं के दौरान डॉक्टर उच्च जोखिम पर रहते हैं।
जिला पठानकोट केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश महाजन का कहना है कि मरीज अस्पतालों और क्लीनिकों में जाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि, उन्हें लगता है कि डॉक्टर एक संक्रमित व्यक्ति हो सकता है या अस्पताल के कर्मचारी जो डॉक्टर की सहायता करते हैं, वह भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। अस्पतालों में मरीजों की कम उपस्थिति से दवा कारोबार प्रभावित हुआ है। वहीं, पठानकोट एसएमओ डॉ. भूपिदर सिंह का कहना है कि लॉकडाउन के बाद अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में कमी आई थी। हालांकि हमने कभी ओपीडी को बंद नहीं किया था। हम कुछ डॉक्टरों के साथ हॉस्पिटल में मरीजों को देख रहे थे। लेकिन अब हॉस्पिटल में मरीजों के लिए ओपीडी पूर्ण रूप से चालू है। मरीजों को बिना किसी डर के सिविल हॉस्पिटल में आना चाहिए क्योंकि हमने यहां पर पूरे प्रबंध कर रखे हैं।