लुधियाना। कोरोना वायरस से पीडि़त शहर की एक महिला मरीज की मौत होने का समाचार है। अमरपुरा निवासी इस महिला को 24 मार्च से खांसी, जुकाम और सांस लेने में तकलीफ थी। तब से 28 मार्च तक वह रेगुलर ओपीडी में जा रही थीं। 29 मार्च की रात उसे सिविल अस्पताल से रेफर किया गया और 30 मार्च को उसकी पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद एक लाख की आबादी वाले अमरपुरा को सील कर दिया गया है। सभी को घरों में क्वारंटाइन कर दिया गया है। लोगों को घरों से बाहर न निकलने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस की गाड़ी इलाके में अनाउंसमेंट करती रही कि घरों से बाहर न निकले, नहीं तो केस दर्ज कर लिया जाएगा। हैरानी वाली बात है कि 22 मार्च को जनता कफ्र्यू के दिन से ही कोरोना से बचाव के लिए सरकारों और जिला प्रशासन ने सावधानियां बरतने के लिए आदेश जारी किए। साथ ही सेहत विभाग के अधिकारियों को एहतियात बरतते हुए कोरोना संदिग्ध मरीजों के इलाज के लिए व्यवस्था करने के लिए कहा गया। परंतु जिले के सबसे बड़े सिविल अस्पताल के सेहत अधिकारियों की बड़ी लापरवाही की वजह से पता नहीं कितने लोग इस संक्रमण की चपेट में आ गए होंगे, क्योंकि 24 मार्च से वह महिला अस्पताल की ओपीडी में रेगुलर इलाज करवा रही थी और तब उसके सैंपल नहीं लिए गए और न ही क्वारंटाइन किया गया। अब राजिंदरा अस्पताल में लिए गए सैंपल में कोरोना संक्रमण की उस महिला में पुष्टि हो गई। वहीं घटना की जानकारी मिलते ही डीसीपी अश्वनी कपूर, डीसीपी वरियाम ङ्क्षसह और एडीसीपी गुरप्रीत ङ्क्षसह सिकंद पुलिस टीम के साथ पहुंचे। डॉक्टरों की टीम पहुंची, आसपास घरों में रहते लोगों के सैंपल लिए। महिला की मौत के बाद पूरे इलाके को सैनिटाइज करना शुरू कर दिया गया है। महिला जिस घर में रहती थी, वहां के आसपास के कुछ घरों में रहते लोगों के सैंपल लिए हैं। महिला के पूरे परिवार को क्वारंटाइन कर दिया गया है। इसके अलावा मृतका के संपर्क में आने वाले अन्य लोगों की सूची तैयार की जा रही है। मृतका के रिश्तेदार ने बताया कि जब शाम करीब छह बजे को महिला को रेफर किया गया तो स्टाफ कर्मी 108 एंबुलेंस को फोन करते रहे, परंतु तीन घंटे तक वह आई ही नहीं। फिर नौ बजे के बाद उन्होंने खुद चार हजार रुपये में पटियाला के लिए एंबुलेंस की और उसे वहां लेकर गए। वहां वे महिला को अस्पताल में छोड़ आए थे और सोमवार को उन्हें उसकी मौत की सूचना मिली।
सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात महिला स्टाफ नर्स और अन्य कर्मियों का कहना है कि रविवार की शाम को महिला की तबीयत बिगड़ी थी। उसे नीचे इमरजेंसी में रेफर किया गया, क्योंकि उसकी सांस फूल रही थी और उसे ऑक्सीजन दी जानी थी। वह एक घंटे तक इमरजेंसी के वेटिंग एरिया में रही। स्टाफ नर्स का कहना है कि उन्हें बताया ही नहीं गया कि यह कोरोना की संदिग्ध मरीज है। उसके बाद वह परिवार के साथ रही और खाना खाया। उन्हें डर है कि कहीं वह भी संक्रमित न हो गए हों। उसके टेस्ट तक नहीं किए गए। इमरजेंसी में ही तैनात डॉक्टर व अन्य स्टाफ महिला की मौत की सूचना के बाद खौफ में हैं।
इलाका पार्षद गुरदीप नीटू के अनुसार कोरोना पॉजिटिव महिला के शव को लेकर परिजन देर रात पटियाला से निकले और रात करीब दो बजे महिला का अंतिम संस्कार गोशाला रोड स्थित श्मशानघाट में सेहत विभाग, जिला और पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया। शव को घर नहीं ले जाया गया। इस दौरान वहां पुलिस बल तैनात रहा। महिला की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है और वह कैसे कोरोना संक्रमण की चपेट में आई, इसकी जानकारी अभी पता नहीं लगी है। पता चला है कि कफ्र्यू लगने से पहले महिला ने दरेसी में होजरी इकाई में बतौर हेल्पर काम किया था। ऐसे में वहां पर काम करने वाले और लोग भी संक्रमण के शिकार हो सकते हैं।