मुंबई. कोरोना में अस्पताल और डॉक्टर इस समय मरीजों को लूटने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। हालात यह है कि जो पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट ऑन लाइन 400 से 700 रुपए में मिल रही है, उसके लिए अस्पताल 6 हजार रुपए ले रहे हैं। डॉक्टर के एक बार के आने की फीस 10 हजार रुपए है तो दवाओं की कीमत ना के बराबर है। दरअसल बिल के मुताबिक, मरीज के दस दिन के पीपीई किट का बिल 60 हजार रुपए है। यानी एक दिन के एक पीपीई किट की कीमत 6 हजार रुपए है। ऑन लाइन यही पीपीई किट 700 रुपए में मिल रही है। इसी तरह डॉक्टर के एक बार के विजिट की फीस 10 हजार रुपए है। दो डॉक्टर ने दो बार विजिट किया है और उसका 20 हजार रुपए लगाया गया है। इसी तरह प्रति दिन बेड का चार्ज 4000 रुपए है। यानी 10 दिन का 40 हजार रुपए बेड का लिया गया है। रजिस्ट्रेशन और एडमिशन के नाम पर 6,600 रुपए लिए गए हैं। बिल के मुताबिक, एक मास्क की कीमत 240 रुपए लगाई गई है। यही नहीं, हैंड वॉश और ग्लव्ज की कीमत 450-450 रुपए लगाई गई है। बता दें कि इसी भारी-भरकम शुल्कों की वजह से इस समय बीमा कंपनियां मरीजों के क्लेम में कटौती कर रही हैं। तो वहीं बीमा कंपनियों का कहना है कि अस्पताल पहले तो पीपीई किट का चार्ज लगाते हैं और उसके बाद मास्क तथा ग्लव्ज का अलग से चार्ज लगाते हैं। जबकि पीपीई किट में यह सभी चीजें शामिल हैं। बीमा कंपनियों के मुताबिक अस्पताल इस समय मरीजों को कई तरह से चार्ज लगा रहे हैं जो सही नहीं है। बता दें कि इस समय अस्पतालों में कोरोना मरीजों को काफी लंबा चौड़ा बिल थमाया जा रहा है। आश्चर्य यह है कि दवाइयों की कीमत पूरे बिल में 5 प्रतिशत भी नहीं है। पर अस्पताल अलग-अलग तरीके से तमाम चार्ज मनमाना लगा रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले अगस्त में ही महाराष्ट्र के पुणे और पिंपरी चिंचवड़ महानगर पालिका ने अस्पतालों से 44 लाख रुपए की रिकवरी की थी। इन अस्पतालों ने मरीजों से ज्यादा पैसा लिया था। महानगर पालिका ने इसके लिए ऑडिटर की नियुक्ति की है। काफी शिकायत मिलने के बाद ऑडिटर ने इस मामले में निजी अस्पतालों की जांच की। बतादे कि ये पूरा मामला मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल का है। यहां पर एक कोरोना मरीज ने अपना इलाज कराया। इस मरीज को अस्पताल से जब छुट्टी मिली तो बिल देखकर होश उड़ गए। कुल 1.32 लाख रुपए के बिल में दवा की कीमत 5 हजार रुपए भी नहीं है। दवाओं के नाम पर मरीज को बिकासूल और अन्य ऐसी ही दवाइयां दी गई हैं। बिल में मरीज के टूथ ब्रश से लेकर हर चीज की कीमत जोड़ी गई है। जिसको लेकर पुणे मनपा को 100 शिकायत मिली। इसमें कुल 2.15 करोज़ रुपए की बिल का पता चला। ऑडिटर ने जांच की तो 30.94 लाख रुपए ज्यादा लिए जाने का पता चला। पिपंरी चिंचवड़ में 31 बिलों की जांच की गई। यहां 91.93 लाख के बिल में 12 लाख ज्यादा वसूली का मामला सामने आया। इस तरह से कुल 44 लाख रुपए की रिकवरी अस्पतालों से की गई। दरअसल कुछ मरीजों ने कहा कि वे अब कंज्यूमर कोर्ट की ओर रूख कर रहे हैं, क्योंकि उनके बिल में बिना मतलब पैसा लगाया गया है।