नई दिल्ली। दुनियाभर भर में अभी भी कोरोना का क़हर बना हुआ है। घटते मामलो के साथ एक बार फिर कोरोना वायरस ने अपनी उछाल भर दी है। गौरतलब है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस का मुकाबला करने के तरीकों को लगातार खोजने की कोशिश कर रहे हैं। इस वायरस को महामारी घोषित किए लगभग एक साल हो चुका है। तब से लेकर अब तक करोड़ो लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 25 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वायरस के प्रसार को कम करने के तरीके खोजना और इसके लिए टीका विकसित करना, इसके बढ़ते मामलों को कम करने के लिए बहुत ही जरूरी है।

दुनियाभर के वैज्ञानिक इस महामारी से निपटने के लिए दवाओं की भी खोज करने में जुटे हुए हैं। अमेरिका के कॉलेज स्टेशन शहर में टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक दल का मानना है कि बेप्रिडिल नामक एक दवा कोविड-19 के मरीजों के इलाज में प्रभावी हो सकती है। यह अध्ययन अमेरिका के प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है। रेमेडिसिविर, इबोला से पीड़ित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा है, जो कोविड-19 के इलाज के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित पहली दवा थी। अध्ययनों में यह पाया गया है कि यह दवा शरीर में वायरस की प्रतिकृति को धीमा कर सकती है, रिकवरी टाइम (ठीक होने का समय) को भी 15 से 10 दिनों तक कम कर सकती है।

फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा अनुमोदित एक अन्य दवा, जो कोविड-19 के उपचार में सहायक हो सकती है, वह डेक्सामेथासोन है। इस दवा का उपयोग आमतौर पर कई त्वचा रोगों, गंभीर एलर्जी, अस्थमा, पुरानी प्रतिरोधी फेफड़े की बीमारी और शरीर में सूजन आदि को कम करने के लिए किया जाता है। हालांकि यह दवा कोरोना वायरस के कुछ ह मरीजों के लिए निर्धारित है, जो श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। अध्ययन के मुताबिक, जब से डॉक्टरों ने कोविड-19 के रोगियों को डेक्सामेथासोन देना शुरू किया है, तब से इन रोगियों की मृत्यु दर कम हो गई है।

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अब तक कई दवाओं को अनुमोदित किया है और कोरोना के इलाज में कारगर बताया है। पिछले एक साल में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के लक्षणों को कम करने में कई एफडीए अनुमोदित दवाओं की भूमिका का अध्ययन किया है और पाया है कि उनमें से सभी दवाएं कारगर नहीं पाई गई हैं।

नोटः यह लेख अमेरिका के प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें शोध के बारे में विस्तार से बताया गया है।