हैदराबाद। खाद्य उत्पाद /न्यूट्रास्यूटिकल्स की आड़ में दवाओं के निर्माण और मेडिकल स्टोर पर अवैध रूप से बेचने का मामला पकड़ में आया है। यह कार्रवाई टीएस ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (टीएसडीसीए) के ड्रग इंस्पेक्टरों ने की।
छापामारी कर दवा जब्त
डीसीए ने छापामारी कर मौके से ग्लूकोसामाइन, मिथाइल सल्फोनील मीथेन और डायसेरिन टैबलेट, प्रीगाबलिन और मिथाइलकोबालामिन कैप्सूल को जब्त किया है। इन दवाओं को आईडीए प्रशांति नगर, कुकटपल्ली और मेडचल-मलकजगिरी जिलों में एसएल हेल्थ केयर में खाद्य लाइसेंस के तहत गलत तरीके से बनाया जा रहा था।
खाद्य उत्पादों के नाम पर अवैध दवा
ड्रग इंस्पेक्टरों ने पाया कि कंपनी अवैध रूप से दो उत्पाद ऑर्थो-डी (ग्लूकोसामाइन 750 मिलीग्राम, मिथाइल सल्फोनील मीथेन 250 मिलीग्राम और डायसेरिन 50 मिलीग्राम टैबलेट) और प्रीगेविट-एम (प्रीगाबलिन 75 मिलीग्राम और मिथाइलकोबालामिन 750 एमसीजी कैप्सूल) को खाद्य उत्पादों/न्यूट्रास्यूटिकल्स के रूप में बनाकर बेच रही थी। ऑर्थो-डी को बालाजी फार्मा, नरसरावपेट और प्रेगाविट-एम को यूनिटी ड्रग्स, वड्डेरा बाजार, नरसरावपेट को 2.90 लाख रुपये में बेचा गया।
इन रोगों के इलाज में आती हैं काम
ग्लूकोसामाइन 750 मिलीग्राम, मिथाइल सल्फोनील मीथेन 250 मिलीग्राम और डायसेरिन 50 मिलीग्राम टैबलेट को ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज के लिए दवा के रूप में लेने की बात कही गई है। वहीं, प्रीगैबलिन 75 मिलीग्राम और मिथाइलकोबालामिन 750 एमसीजी कैप्सूल को वयस्क रोगियों में पेरिफेरल न्यूरोपैथी के इलाज के लिए अनुमोदित किया गया था।
बता दें कि खाद्य लाइसेंस के तहत गलत तरीके से निर्मित और बेची जाने वाली दवाएं अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) के अनुसार निर्मित नहीं होती हैं। भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) में निर्धारित गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में भी विफल रहती हैं। ऐसे उत्पाद रोगी के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। डीजी, डीसीए, वीबी कमलासन रेड्डी ने कहा कि ड्रग लाइसेंस के बिना दवाओं का निर्माण और बिक्री ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत दंडनीय है। इसमें पांच साल तक की कैद का प्रावधान है।