ग्वालियर। डायबिटीज और हार्ट पेशेंट को जिन दवाओं के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते थे, वह अब उन्हें कम कीमत में मिलेंगी। इसका कारण यह है कि डायबिटीज और हार्ट संबंधी बीमारी की दवा बनाने वाली विदेशी कंपनियों का पेटेंट समाप्त हो गया है। पेटेंट समाप्त होने से अब भारतीय दवा कंपनियों ने सस्ती जेनेरिक दवाएं बाजार में उतार दी हैं। डायबिटीज की दवा बिडाग्लेप्टिन (प्रति खुराक) जो करीब 20 से 25 रुपए में आती थी, वह घटकर अब 5 से 6 रुपए हो गई है। इससे शहर के हजारों डायबिटीज के मरीजों को राहत मिलेगी। इसी तरह हृदय रोगियों की खून पतला करने की प्रमुख दवा टीकाग्रेलोर की कीमत 55 रुपए से घटकर महज 12 रुपए तक आ गई है। इन दवाओं की कीमत पहले ही करीब 80 फीसदी घट चुकी है। राहत वाली बात यह भी है कि डायबिटीज की कुछ और दवाओं का पेटेंट अगले दो-चार साल में खत्म होने जा रहा है। डिस्ट्रिक ग्वालियर ड्रग एंड कैमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. गिरीश अरोरा ने बताया कि इस साल मधुमेह और हृदय से संबंधित तीन प्रमुख बीमारियों की दवाओं का पेटेंट खत्म हो गया है और घरेलू कंपनियों ने बाजार में मूल दवाओं के सस्ते जेनेरिक संस्करण उतारे हैं। इन दवाओं की कीमतें पहले ही करीब 80 फीसदी घट चुकी हैं। स्विटजरलैंड की बहुराष्ट्रीय कंपनी नोवार्तिस की गैल्वस (बिडाग्लेप्टिन) का पेटेंट दिसंबर में खत्म हो गया है। डायबिटीज के मरीजों को रोजाना दो खुराक लेनी पड़ती है। अब मरीजों का खर्चा कम होगा। टीकाग्रेलोर उन मरीजों को खाने की सलाह दी जाती है, जिन्हें हृदय से संबंधित बीमारी रही है ताकि दिल के दौरे के आसार कम किए जा सकें। यह दवा रक्त के थक्कों को भी कम करती है। टीकाग्रेलोर की कीमत करीब 55 रुपये प्रति खुराक है, लेकिन अब कीमत 12 रुपए तक आ गई है। इस दवा की औसत कीमत 20 रुपये प्रति खुराक है।
नेशनल फार्मा, प्राइज अथॉरिटी के आदेश के बाद कुछ एंटीबायोटिक और सामान्य दवाओं के रेट भी बढ़ेंगे। इसके अलावा एंटी मलेरियल, एंटी एलर्जिक, बीसीजी वैक्सीन, विटामिन-सी, बीसीजी वैक्सी, बेंजाइल पेनिसलीन, क्लोक्वीन, डेप्सोन, फ्यूरासिमाइड, मेट्रोनाइडाजोल, कोट्रामेजोल, क्लोफाजिमाइन प्रमुख हैं। मलेरिया में दी जाने वाली क्लोक्वीन, मेट्रोनिडाजोल पेट संबंधी बीमारी में दी जाती है।