नारनौल। गर्भपात की गोलियां बेचने के आरोप में एक सब्जी विक्रेता को गिरफ्तार करने का समाचार है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रेवाड़ी के गांव झाल में बीती शाम छापेमारी की और एक व्यक्ति को तीन हजार में गर्भपात की छह गोली बेचते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।

बताया गया है कि गर्भपात की गोली बेचने वाला टैम्पो में सब्जी बेचने का काम करता है। आरोपी ने बताया कि इसमें मेहनत ज्यादा व पैसा कम मिल रहा है। इसी वजह से कमाई का शार्ट तरीका ढुंढा और यह अवैध धंधा करने लगा। अब कोसली पुलिस पूछताछ कर रही है कि यह सब्जी बेचने वाला व्यक्ति किस फार्मेसी संचालक या चिकित्सक के संपर्क में है।

जानकारी के अनुसार सीएमओ डा. रमेशचंद्र आर्य को गुप्त सूचना मिल रही थी कि गर्भपात की गोली बिना चिकित्सक व पहचान पत्र के अवैध रूप से जिले में बेची जा रही हंै। सूचना के आधार पर सीएमओ ने रविवार को टीम गठित की। इसमें नोडल अधिकारी डा. विजय यादव व डिलिंग अशोक कुमार को शामिल किया। इस टीम ने एक डिकॉय मरीज को तैयार किया।

स्वास्थ्य विभाग की टीम नारनौल से रवाना हुई। कनीना पहुंचने पर डिकॉय मरीज ने मुखबरी से मिले मोबाइल नंबर पर संपर्क किया। मोबाइल रिसीव करने वाले व्यक्ति ने डिकॉय मरीज को रेवाड़ी जिला के कोसली क्षेत्र के गांव झाल में आने को कहा। शाम डिकॉय वहां पहुंचा तो टीम ने उसे पांच-पांच सौ के छह नोट यानी कुल तीन हजार रुपये देकर भेजा।

डिकॉय मरीज को वहां एक व्यक्ति मिला और उसने पैसा गिनने के बाद गर्भपात की छह गोली थमा दी। इसके बाद डिकॉय मरीज से टीम को इशारा कर दिया। टीम ने मौके पर ही व्यक्ति को पकड़ लिया और रेवाड़ी स्वास्थ्य विभाग सहित वहां की पुलिस को मामले से अवगत करवाया।

यूपी का निकला व्यक्ति, बेचता है टैम्पो में सब्जी

पूछताछ में पकड़े गए व्यक्ति ने खुद का नाम श्रीनारायण पुत्र रमाशंकर वासी इलाहाबाद यूपी बताया है। आरोपित श्रीनारायण ने बताया कि वह टैम्पो में सब्जी रखकर गांव-गांव जाकर बेचता है। इस धंधे में इतना फायदा नहीं था। इसी वजह से वह गर्भपात की गोली बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहा था। अब पुलिस आरोपित से यह पूछताछ कर रही है कि सब्जी बेचने वाला किस फार्मेसी संचालक या चिकित्सक के संपर्क में है और उस गिरोही में और कौन-कौन शामिल है।

एमटीपी किट रखना व बिक्री करना गैर कानूनी

स्वास्थ्य विभाग के नियम कहते है कि एमटीपी किट रखना तथा बिक्री करना गैर कानूनी है। सिर्फ एमडी गायनाकोलोजिस्ट की निगरानी में ही यह किट प्रयोग की जा सकती है। एनबीबीएस डाक्टर भी इस किट के प्रयोग की प्रेसक्रिप्शन नहीं दे सकते। एमटीपी किट बनाने वाली हर दवा कंपनी को कानूनी रूप से हर किट के खरीददार का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है।