मेडिकेयर ब्यूरो : वैसे तो आधुनिक होते जीवन में हर घर की रसोई और टिफिन में फास्टफूड ने जगह बना ली है, जो बीमारियों की प्रमुख वजह बन रही है। लेकिन एक ताजा शोध में गर्भवती महिलाओं के लिए फास्ट फूड को खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। किंग्स कॉलेज के शोधकर्ताओं ने पाया कि फास्ट फूड का सेवन गर्भ में पल रही संतान को भविष्य अटेंशन डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) के खतरे को बढ़ा देती है।
शोध में शामिल बच्चों को दो समूहों में बांटा गया था। एक वर्ग के बच्चों में इस तरह की समस्या थी, दूसरे समूह के बच्चे स्वस्थ थे। जांच करने पर एडीएचडी पीडि़त बच्चों की मां द्वारा गर्भावस्था के दौरान फास्ट फूड का सेवन की बात सामने आई।
शोधकर्ताओं के साथ-साथ विशेषज्ञों ने बताया कि उच्च वसा और शुगर युक्त खाद्य पदार्थो के इस्तेमाल से यह समस्या उत्पन्न होती है। फास्ट फूड में इसकी मात्रा कहीं अधिक होती है। प्रसव पूर्व पौष्टिक आहार लेने से संतान में एडीएचडी और व्यवहार से जुड़ी समस्याएं बेहद कम हो जाती हैं।
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पेन किल्लर पर दर्द नहीं
अमेरिकी वैज्ञानिकों दल में शामिल भारतीय मूल के आशीष मांगलिक ने दावा किया कि उन्होंने ऐसी दर्द निवारक दवा विकसित की है जो शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना दर्द से राहत देने में सक्षम है। इस नई दवा को विकसित करने के लिए ब्रेन में मौजूद मॉर्फिन रिसेप्टर की आणविक संरचना का इस्तेमाल किया। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के मॉर्फिन की तरह ही प्रभावशाली तरीके से दर्द से राहत देने में सहायक है।
नई दवा मौजूदा पेनकिलर की तरह सांस लेने की प्रक्रिया को बाधित नहीं करता है। लिहाजा इसके ओवरडोज से मौत का खतरा नहीं है। फिलहाल चूहों पर इसका परीक्षण किया गया है। इनसानों पर इसका ट्रायल बाकी है।