गर्मी बढ़ने पर कोरोना का कहर खुद बखुद नहीं थमने लगेगा। अमेरिका के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक दल ने बुधवार को व्हाइट हाउस को यह चेतावनी दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले दावा किया था कि पारा चढ़ने के साथ ही कोरोना वायरस चमत्कारिक रूप से नष्ट हो जाएगा।
व्हाइट हाउस को भेजे पत्र में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (एनएएस) के सदस्यों ने कहा, ‘कोरोना वायरस सर्दी की तरह ही गर्मी में भी आसानी से फैलता है या नहीं, इसे लेकर वैज्ञानिकों की मिली-जुली राय है। और अगर मान भी लें कि गर्मी में संक्रमण का प्रसार थोड़ा धीमा पड़ जाता है तो भी यह ज्यादा अहम नहीं है, क्योंकि दुनियाभर में चुनिंदा लोगों का प्रतिरोधक तंत्र ही इस जानलेवा वायरस से लड़ने में सक्षम है।’
एनएएस में संक्रामक रोगों के शीर्ष विशेषज्ञ डॉक्टर विलियम शैफनर ने कहा, हम भले ही यह उम्मीद कर सकते हैं कि मौसम कोरोना का प्रसार रोकने में मदद करेगा, लेकिन उस पर पूरी तरह से निर्भर रहना ठीक नहीं। हमें सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य एहतियाती उपाय आजमाने पड़ेंगे, ताकि संक्रमितों के संपर्क में आकर अन्य लोग भी वायरस का शिकार न हों। शैफनर ने यह भी कहा कि गर्म वातावरण वाले देशों में कोरोना ने समान रूप से पांव पसारे हैं। ऐसे में यह मान लेना कि गर्मी में वायरस खुद मर जाएगा बड़ी भूल होगा।
वायरस की चेन तोड़ना जरूरी
-डॉक्टर शैफनर ने साफ किया कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे एहतियाती उपायों का कड़ाई से अनुपालन कर कोरोना की चेन को तोड़ना ही संक्रमण पर काबू पाने का एकमात्र जरिया है।
चीन में गर्मी में भी फैला संक्रमण
-उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भीषण गर्मी और नमी वाले वातावरण में भी कोरोना तेजी से फैला। हर संक्रमित ने औसतन दो अन्य लोगों को इस जानलेवा वायरस का शिकार बनाया।
फ्लू, टीबी के वायरस से ज्यादा ताकतवर
-एनएएस से जुड़े प्रोफेसर चाड रॉय ने अलग-अलग संक्रामक रोगों के लिए जिम्मेदार वायरस पर गर्मी का असर आंका। उन्होंने पाया कि फ्लू, टीबी और सार्स के मुकाबले कोरोना संक्रमण का वायरस उच्च तापमान में कहीं ज्यादा अवधि तक जीवित रहता है।