मीरजापुर (उप्र)। एक चिकित्सक की लापरवाही ने दो वर्षीय बच्ची की आंखों की रोशनी और आवाज चले जाने का मामला सामने आया है। गलत दवा के रिएक्शन से बच्ची के पैर भी हिलना-डुलना बंद हो गए। परिजनों ने शिकायत की तो प्रशासन ने क्लीनिक सील कर दिया लेकिन लापरवाह आरोपी चिकित्सक पर कोई कार्रवाई नहीं की। इससे निराश बच्ची के परिजन अधिकारियों के दरवाजे पर न्याय की गुहार लगाते फिर रहे हैं।
गौरतलब है कि अदलहाट थानाक्षेत्र के डेहरी ग्राम निवासी रामआसरे पटेल पुत्र पन्नालाल पटेल की दो वर्षीय पुत्री आकांक्षा को बुखार-उल्टी की शिकायत होने पर परिजन उसे लेकर इलाज के लिए वाराणसी जा रहे थे। तभी किसी व्यक्ति ने उन्हें नरायनपुर के एक चिकित्सक के बारे में बताया और अच्छे इलाज का भरोसा दिया। यह विश्वास कर परिजन बच्ची को इलाज के लिए उस चिकित्सक के पास पहुंचे। पिता रामआसरे ने बताया कि साधारण बुखार व उल्टी की समस्या होते हुए भी चिकित्सक ने 11 दिन अस्पताल में बच्ची को भर्ती रखा व ग्लुकोज चढ़ाते रहे। इसी दौरान बच्ची को गलत इंजेक्शन लगा दिया जिसने उसकी हंसती-खेलती जिंदगी पर मानो ग्रहण लगा दिया। बच्ची की आंख की रोशनी चली गई, बोलना तथा हाथ-पैर हिलना ही बंद हो गए। बच्ची की हालत बिगड़ी तो चिकित्सक ने परिजनों को भला-बुरा कहकर अस्पताल से निकाल दिया। परिजन उसे लेकर बीएचयू इमरजेंसी पहुंचे, जहां उसकी हालत देखते हुए भर्ती से इनकार कर दिया गया। मजबूरन परिजन बच्ची को लेकर वापस घर चले आए और तब से वे मासूम की आवाज सुनने को भी तरस गए हैं। पिता रामआसरे का कहना है कि नियति ने उसकी बिटिया को इस हाल में पहुंचा दिया और शिकायत के बाद सिर्फ क्लिनिक सील किया गया है, जो कुछ दिनों में खोल दिया जाएगा। जबकि चिकित्सक पर कार्रवाई नहीं हो रही। अब खुद को सीएमओ आफिस का बाबू बताने वाला शख्स फोन करके परिजनों को 50 हजार रुपये लेकर सुलह करने का दबाव बना रहा है।