राजस्थान की निशुल्क सरकारी दवाएं बिक रही बाजार में
नारनौल: राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार ने 2 अक्टूबर, 2011 को गांधी जयंती  के मौके पर जोर-शोर से मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना शुरू की थी, जिसके जरिये न केवल इनसानों बल्कि मवेशियों को भी अव्वल दर्जे की मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा देने का ढोल पीटा गया था। इस योजना से कितने गरीब इनसानों और मवेशियों का मुफ्त में स्वास्थ्य सुधरा है, इसकी सही गिनती शायद ही सैकड़ों में हो, लेकिन इस योजना के तहत आने वाली दवा की सरकारी सप्लाई में गोलमाल लाखों रुपये का हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से राजस्थान-हरियाणा की सीमा के आसपास बैठे आरएमपी, झोलाछाप डॉक्टरों के ठिकानों पर ये नॉट फॉर सेल की सरकारी दवा खूब देखी जा सकती है।
आश्चर्य की बात यह है कि इन दवाईयों को दूर-दराज के गांवों में भी चिकित्सा कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों को औने-पौने दामों में बेचा जा रहा है। वहीं झोलाछापों द्वारा सरकारी दवाईयों को बेचकर मोटी चांदी कूटी जा रही है।
मडिकेयर न्यूज संवाददाता ने मामले की जानकारी मिलने पर राजस्थान-हरियाणा की सीमा से सटे दर्जन भर गांवों में प्रैक्टिस कर रहे आरएमपी चिकित्सकों से इस संबंध में विस्तार से जानकारी ली तो चौकानेवाला खुलासा हुआ। इन चिकित्सकों ने नाम न छापने की शर्त पर दवाओं के नमूने दिखाते हुए बताया कि स्वास्थ्य विभाग के फार्मासिस्ट व चतृर्थ श्रेणी के कर्मचारी आपसी सांठ-गांठ से प्रतिमाह हजारों रुपए की फार्मा ेकंपनी की नॉट फॉर सेल की दवाईयां गांवों में उनके ठिकानों पर आकर स्वयं बेची जा रही है। बाजार में एरिस्टों का मोनोसैफ एक मिली ग्राम इंजेक्शन 64 एमआरपी का जहां थोक में 40 से 45 रुपए में बिक रहा है। वहीं राजस्थान स्वास्थ्य की सप्लाई का इंजेक्शन मात्र झोलाछाप डॉक्टरों को 20 रुपए में बेचा जा रहा है। बायोकॅम का एमिसिन 500 मिलीग्राम मात्र 10 रुपए में बेच रहे है। यहीं नहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा अबॅट, एरिस्टो, बायोकैम व अन्य टॉप फार्मा कंपनियों के इंजेक्शन, सिरफ, एंटीबायोटिक व टॉनिक आदि दवाईयां खुलेआम बेची जा रही है।
बता दें कि योजना के पहले साल में प्रदेश के लगभग 4 करोड़ 40 लाख लोगों को निशुल्क दवाएं मुहैया करवाने की बात कही गई। वर्तमान भाजपा सरकार मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत दूर-दराज तक के गांवों में हर व्यक्ति तक दवा पहुंचाने का दावा जोर-शोर से कर रही है। वहीं योजना की पोल जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भी कई टन एक्सपायर व यूजलैस दवाईयों के भंडारण को खुर्द-बूर्द प्रकरण के खुलासे में भी खुल चुकी है। जिस पर स्वास्थ्य विभाग व सरकार ने एक जांच कमेटी भी गठित कर रखी है।