अम्बाला। पुणे के प्रसिद्ध आदित्य बिरला मेमोरियल अस्पताल के परिसर में स्थित कृष्णा मेडिकोज से मरीज के तीमारदार को दवा का फर्जी बिल सौंपने का मामला सामने आया है। दरअसल, डायलिसिस के एक रोगी के तीमारदार ने कृष्णा मेडिकोज से दवा खरीदी। उसे 1726 रुपए का बिल मिला। तीमारदार ने 2000 रुपए का नोट दिया तो दुकानदार ने उसे 1500 रुपए वापस कर दिए। जब कैश काउंटर पर बैठे व्यक्ति को पैसे ज्यादा लौटाने पर ध्यान दिलाया तो कैशियर ने कहा कि 500 रुपए ही बनते हैं। ऐसे में ग्राहक का माथा ठनका कि जब बिल 1726 रुपए का है तो 500 रुपए ही क्यों लिए गए। कहीं दवा नकली तो नहीं और बिल पर जीएसटी व सीएसटी  का कॉलम भी नहीं था। अत: बिल व दवा दोनों नकली होने की आशंका होने पर इस दवा से डायलिसिस भी डरते-डरते करवाया कि कहीं परिणाम शून्य न दिखाई दे तो इसकी सूचना प्रमाण सहित औषधि प्रशासन को दी ताकि लोगों की जिंदगी से खेल बंद हो।
इस पर एफडीए पुणे के संयुक्त कमिश्नर डॉ. एस.बी. पाटिल को जांच का जिम्मा मिला। पाटिल ने जांच के बाद शिकायत को पुख्ता पाया। जब इतना डिस्काऊंट देने का कारण पूछा गया तो कृष्णा मेडिकोज के मालिक जितु चौधरी ने बताया कि कम्पनी की तरफ से हिदायत है कि इतना ही पैसा लेना है, सो हम उसी का पालन कर काम कर रहे हैं। जब दवा की गुणवत्ता पर शक जाहिर किया तो वे इधर-उधर की बात करने लगे। औषधि प्रशासन ने मौके से सैम्पल लेकर जांच के लिए भेज दिए और रिपोर्ट आने पर विभागीय ठोस कार्यवाही का आश्वासन दिया है। इस संबंध में आदित्य बिरला मेमोरियल अस्पताल के ईओ रेखा दुबे ने बताया कि मामला अति संवेदनशील है। वे इस पर खुद की निगरानी में उचित कार्यवाही करेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि  उनका लक्ष्य रोगी को ठीक उपचार उपलब्ध करवाना है। दवा निम्न स्तर की है या नकली, यह देखना औषधि प्रशासन की जिम्मेदारी होती है।