दरभंगा, जासं। जिले में औषधि निरीक्षक (ड्रग इंस्पेक्टर) का पद पिछले चार साल से खाली है। इस कारण समय-समय पर की जानेवाली दवा दुकानों की जांच नहीं हो पा रही है। हालांकि बीच में कुछ दिनों के लिए एक ड्रग इंस्पेक्टर की पदस्थापना की गई थी। फिर उनका भी स्थानांतरण किसी कारणवश हो गया। इधर सिविल सर्जन कार्यालय में समीक्षा के बाद जारी की जानेवाली दवा दुकानदारों की सूची भी वक्त पर जारी नहीं की जा रही है। नतीजतन दवा दुकानदारों की मनमानी चल रही है। मामले में सिविल सर्जन संजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग को पत्राचार किया गया है। सीमित संसाधनों के साथ काम किया जा रहा है। समय रहते समस्या दूर कर ली जाएगी।

इस समस्या की बाबत सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से स्वास्थ्य विभाग को पत्राचार किया गया है। पत्र में कहा गया है कि कार्यालय में इन दिनों कई महत्वपूर्ण पदों के रिक्त रहने से बहुत सारे आवश्यक काम ठप पड़ गए हैं। बताते हैं कि जिले में ड्रग इंस्पेक्टर के तीन पद खाली पड़े हैं। उपर से जिला मेडिकल का हब माना जाता है। इस स्थिति में सिविल सर्जन चाहकर भी दवा दुकानदारों की मनमानी पर रोक नहीं लगा पाते।

शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश दवा की दुकानों पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। सैकड़ों की संख्या में छोटी-बड़ी दवा दुकानें संचालित हो रही हैं। जानकार बताते हैं कि पिछले पांच साल से (वर्ष 2017 से लेकर 2021 तक) एक बार भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में दवा दुकानदारों की दुकानों की जांच नियमित तौर पर नहीं हो पाई है। विशेष परिस्थिति में जांच के लिए बाहर से अधिकारी बुलाए जाते हैं।