रुडक़ी, हरिद्वार। औषधि विभाग और पुलिस टीम ने हरिद्वार जिले के रुडक़ी में रेड कर नकली दवाइयां बनाने वाली तीन फैक्ट्रियां पकड़ी हैं। इन फैक्ट्रियों में अलग-अलग कंपनियों के नाम की एंटीबायोटिक दवाइयां तैयार की जा रही थीं। रेड के दौरान इन फैक्ट्रियों में बड़ी मात्रा में नकली दवाइयां, पैकिंग रैपर, पैकिंग मशीनें और अन्य उपकरण जब्त कर दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, एक फैक्ट्री में टीम के पहुंचने की खबर मिलते ही वहां काम करने वाले सभी कर्मी फरार हो गए। बता दें कि पिछले साल राजस्थान की टीम ने हरिद्वार जिले के ही भगवानपुर इलाके में नकली दवाओं का जखीरा बरामद किया था। राज्य का औषधि विभाग तब इस गोरखधंधे से अनजान था।

जानकारी अनुसार उत्तर प्रदेश के औषधि विभाग ने इसी साल मार्च में साढ़े तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की नकली दवाओं का भंडाफोड़ किया था। तब पकड़ में आए छह लोगों के खिलाफ विभाग ने अमरोहा जिले के हसनपुर थाने में केस दर्ज कराया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए औषधि विभाग ने जांच के लिए तीन जिलों के औषधि निरीक्षकों की टीम गठित की। यह टीम पुलिस के साथ मिलकर जांच कर रही है। जांच की कडिय़ां जोड़ते हुए औषधि निरीक्षक नरेश मोहन (मुरादाबाद), आशुतोष मिश्रा (बिजनौर), राजेश कुमार (अमरोहा) हसनपुर थाना पुलिस के साथ रुडक़ी पहुंचे।

यहां टीम ने तहसीलदार मनजीत सिंह, हरिद्वार के औषधि निरीक्षक नीरज कुमार एवं पौड़ी के औषधि निरीक्षक सुधीर कुमार को साथ लेकर सबसे पहले सैनिक कॉलोनी में ओमपाल के मकान पर छापा मारा। उस वक्त यहां पर नकली दवाओं की पैकिंग का काम चल रहा था। टीम ने पैकिंग मशीन और नकली दवाएं जब्त कर ओमपाल को भी हिरासत में ले लिया। इसके बाद टीम ने शिवपुरम गली नंबर पांच में अरुण कुमार के मकान पर छापा मारा। यहां पर भी नकली दवाओं की पैकिंग होती मिली। टीम ने अरुण को हिरासत में लेकर यहां से बड़ी मात्रा में दवाओं के साथ ही मशीनें जब्त कर लीं। इसके बाद टीम रामनगर औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्ट्री पहुंची। लेकिन, टीम के हाथ कोई नहीं लगा। उनके यहां पहुंचने से पहले फैक्ट्री में काम कर रहे लोग फरार हो गए थे। फैक्ट्री में दो पैकिंग मशीनें और एक कंप्रेशर लगा मिला, जो चालू हालत में थे। फैक्ट्री में काफी मात्रा में दवाएं रैपर में पैक्ड मिली, जबकि कुछ बगैर पैकिंग के थी। टीम ने दवाएं और मशीनें जब्त कर ली हैं। छापेमारी टीम का नेतृत्व कर रहे मुरादाबाद के औषधि निरीक्षक नरेश मोहन ने बताया कि तीनों ही फैक्ट्रियों में अलग-अलग कंपनियों के नाम नकली एंटीबायोटिक दवाएं तैयार की जा रही थी। इन्हें चॉक मिट्टी से तैयार किया जा रहा था। नकली दवाओं को कई नामी कंपनियों के रैपर तैयार कर उनमें पैक किया जा रहा था। इन दवाओं के रैपर पर दस टेबलेट कीमत 160 से 300 रुपये तक अंकित है। इन्हें यहां से उप्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़ के शहरों में भेजे जाने की बात सामने आई है।