Health Insurance Claim: मेडिकल इमरजेंसी एक परेशान करने वाली स्थिति होती है जिसमें मरीज के साथ-साथ उनके परिजन भी चिंता में डूब जाते हैं। रुपए के अभाव में कितनी बार मरीजों की जान भी चली जाती है। इसलिए पहले से ही भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना होना अति आवश्यक है। मेडिकल इंश्योरेंस स्कीम के जरिए, आपको अस्पताल के बिलों का पेमेंट करने के लिए अपनी सेविंग्स को कम नहीं करना पड़ेगा। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम खरीदते समय, पेश किए जाने वाले फायदे और बीमाकर्ता के क्लेम सैटलमेंट प्रोसेस की निपटान प्रक्रिया को समझना जरूरी है।
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम (Health Insurance Claim) दो प्रकार के होते हैं कैशलेस और रीइंबर्समेंट क्लेम।
जानते हैं हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम (Health Insurance Claim) के बारें में
कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस- कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के मुताबिक इंश्योरेर सीधा अस्पताल के बिल को सैटल कर सकते हैं। इस तरह के क्लेम मात्र उन्हीं बीमारियों के इलाज के लिए नेटवर्क अस्पतालों में मिल सकते हैं जिन्हें बीमा कंपनी मुहैया कराती है। इसमें आपको खुद हॉस्पिटल बिल का पेमेंट नहीं करना होगा।
कैशलेस इंश्योरेंस सुविधा उन्हीं में से एक है। आमतौर पर भारत में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां प्लान के तहत कई तरह की कवरेज देती हैं। अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनी की कवरेज अलग-अलग हो सकती हैं। कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की कुछ स्टैंडर्ड कवरेज होती हैं।
मेडिकल रीइंबर्समेंट इंश्योरेंस- मेडिकल रीइंबर्समेंट एक ऐसी प्रक्रिया है जो उन मेडिकल खर्चों के बदले में दिया जाता है जो पहले ही किए जा चुके हैं। सीधे शब्दों में का जायें तो पहले आपको हॉस्पिटल के खर्चों को खुद करना होगा और इंश्योरेंस बाद की तारीख में आपको पैसे रीइंबर्स करके देगा।
रीइंबर्समेंट प्लान में पैसा वापस मिलने के लिए जरूरी है कि आपको इसके लिए पहल करनी होगी और क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस को शुरू करना होगा। कोई आशंका अगर इस बारे में हो तो आप इंश्योरर के साथ उसको डिस्कस कर सकते हैं।
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