बिक्री प्रभावित, बाजार में दवाओं की किल्लत, मरीज परेशान

आगरा। जीएसटी का दवाओं पर क्या असर होगा, अभी तक यह तय नहीं हो पाया है। उधर, दवा निर्माता कंपनियां दवाओं पर 7-12 फीसदी तक छूट दे रही है, फिर भी थोक-रिटेलर दवाओं का स्टाक करने से बच रहे हैं। थोक व्यापारियों ने 25 जून के बाद माल वापस लेने से मना कर दिया है। इसके चलते दवा दुकानदार रोजाना की जरूरत के आधार पर ही दवा खरीद रहे हैं। मेडिकल ट्रैडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव पुनीत कालरा का कहना है कि कंपनी अपना माल खपाने के लिए दवाओं की कीमत में भारी छूट दे रही है, लेकिन वापस नहीं लेगी। ऐसे में दवा व्यापारी स्टाक नहीं कर रहे। अगर यही हाल रहा तो 25 जून के बाद दवाओं की भारी किल्लत हो सकती है। बाजार में दवाओं की कमी से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है। रिटेल दवा दुकानदार श्रवण कुमार ने कहा कि जीएसटी के कारण अभी स्टाक नहीं कर रहे हैं। फिलहाल रोजाना की बिक्री के आधार पर ही दवाएं खरीद रहे हैं। वहीं, आगरा जिला केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आशू शर्मा ने बताया कि जीएसटी के तहत कितना कर लगेगा, इस पर अभी असमंजस बना है। दवा स्टाक करने पर नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इससे बिक्री भी प्रभावित हो रही है।

इन दवाओं की बनी कमी:मरीजों- तीमारदारों को जिन दवाओं की सबसे ज्यादा किल्लत उठानी पड़ रही हैं, उनमें ओमिनी जैल (चोट दर्द), रैबीपुर इंजेक्शन (कुत्ता काटने), फैंसीड्रिल (खांसी), पायरियामोन ड्राप (नेत्र), कॉरेक्स सीरप (खांसी), डुफाटन (कमजोर बच्चेदानी), वैक्सीरेक्स (चिकनपॉक्स का टीका), एविनसिफ-200 (एंटीबायोटिक), एल्युमिन इंजेक्शन (डायलिसिस के मरीज) आदि शामिल हैं।