अजमेर। आमजन के जीवन में काम आने वाली अंग्रेजी दवाइयों की दरों में पिछले डेढ़ माह में एकाएक तीस से चालीस प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बीस प्रतिशत से शुरू हुई बढ़ोतरी चालीस तक पहुंच गई है। इन दरों में और इजाफा होने का भी अंदेशा बताया जा रहा है। दवाओं की दरें बढऩे के कारण कई फार्मासिस्ट भी दवाओं के नए रेट आने का इंतजार कर रहे हैं। इस कारण दवाओं की खरीद भी कम हो गई है। एकाएक दवाइयों की दरों में इजाफा होने से मरीज भी हैरान हैं। हर माह जीवनरक्षक दवाइयां लेने वाले मरीजों ने जब इस माह दवा की खरीद की तो पता चला कि दवा के पैकेट पर बीस से तीस रुपए तक का इजाफा हुआ है, जबकि हार्ट की दवाओं पर मूल्य इनसे भी अधिक हैं। दवाओं की अचानक दरें बढऩे का सबसे बड़ा कारण चाइना से आ रहे कच्चे माल की दरें बढऩा है। वहां से भारत आने पर मूल्य और बढ़ जाता है। इस कारण दवा निर्माताओं ने मूल्यों में बढ़ोतरी की है।
जिला केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव मदन गोपाल बाहेती ने बताया कि भारत में दवाइयों के निर्माण में काम आने वाला रॉ-मेटेरियल काफी महंगा पड़ता है। इस कारण सारा कच्चा माल चाइना से आता है। पिछले कुछ दिनों से वहां मांग बढ़ जाने से दरें बढ़ गई। उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांत मूंदड़ा व अनिल कोठारी ने कहा कि चाइना से 70-80 प्रतिशत माल आता है। वहां से माल महंगा आने का असर यहां भी पड़ा है। सामान्य बीमारी की गोली हो या हार्ट की, सभी की दरों में वृद्धि हुई है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट, एंटीबायटिक के काम आने वाली ग्रेनी प्राइड मेक्फॉरमिन 500 एमजी, रेमेडियल, एमोक्सिक्लेब सिपोराव, मेटाप्राजोल, टेलमासाटिन, एम्लोडिपिन सहित आईबूपेरा, थाइरोक्सीन तथा एमलोवॉज ऐसी दवाइयां हंै जो मरीज के लिए जीवनरक्षक मानी जाती हंै। इन दवाओं की दरों में भी बढ़ोतरी हुई है। मेडिकल स्टोर संचालकों ने बताया कि डिस्प्रिन 5 रुपए से 13 रुपए, लीवो सिट्राजिन 18 रुपए से 30 रुपए, आईबू-पेरा 7 से 17, एमॉक्सीक्लिव सौ से एक सौ बीस, थाइरोक्सीन 120 से 140 तक पहुंच गए हैं।