हापुड़। कोरोना काल में एक तरफ लोग इस महामारी से जूझ रहे है। तो वहीँ दूसरी तरफ दवाओं के दाम लगातार बढ़ते ही जा रहें है। अब इसी कड़ी में जीवन रक्षक दवाओं के दामों में 10 फीसदी तक बढ़ोत्तरी से मरीजों की जेब पर भार बढ़ गया है। सांस, हृदय, शुगर के मरीजों का इलाज भी महंगा हो गया है। इसके अलावा एंटीबायोटिक, बुखार, दर्द निवारक दवाओं पर भी महंगाई की मार पड़ी है। कोरोना महामारी में महंगे उपचार के बाद अब दवाओं के दामों में आए उछाल से मरीजों का हाल बेहाल है। आलम यह है कि कोरोना महामारी में संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद पोस्ट कोविड से जूझ रहे मरीजों की महंगी दवाओं से जेब ढीली हो रही है।

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महासचिव- विकास गर्ग के अनुसार पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने से कच्चे माल के दाम भी काफी महंगे हो गए हैं। जिसका असर दवाओं पर भी पड़ रहा है। कच्चा माल महंगा होने के कारण ही दवाओं के दामों में उछाल आ रहा है। दवा कारोबारी- अमित कुमार गोयल ने बताया कि दवा कंपनियों ने ही दवाओं के दामों में इजाफा किया है। उन्हें पीछे से जिस दाम पर दवाएं मिल रही हैं, आगे उसी हिसाब से बिक्री की जा रही है। दवाओं की कीमतों में 10 फीसदी तक बढ़ोत्तरी हुई है।

पेट्रोल, डीजल में लगातार बढ़ोत्तरी से कच्चे माल के दाम आसमान छू रहे हैं। जिसका असर दवाओं के दामों पर भी पड़ रहा है। हृदय, सांस, गर्भावस्था संबंधी बीमारियों के अलावा एंटीबायोटिक दवाओं की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। कई जीवनरक्षक दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें मरीजों को लंबे समय तक खाना पड़ता है। उनके भी दाम बढ़े हैं। दवाओं के रोजाना दाम बढ़ने से मरीजों के साथ दवा विक्रेता भी परेशान हैं।