मुंबई। अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के दोषपूर्ण कूल्हे प्रत्यारोपण करवाने वाले पीड़ित मरीजों की पहचान कर उन्हें मुआवजा दिलाने की कवायद शुरू हो गई है। सरकार पीड़ितों की पहचान के बाद मुआवजे की राशि तय करेगी और दावे के निपटान के लिए कंपनी से संपर्क करेगी। बताया गया है कि अगर कंपनी ने दावों को नहीं माना तो आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत जनहित में उसके खिलाफ मामला दायर किया जाएगा। गौरतलब है कि जेएंडजे की सहयोगी कंपनी डीपईज एएसआर हिप रिप्लेसमेंट सिस्टम ने भारत में कूल्हे बदलने के लिए 4,700 ऑपरेशन किए थे। लेकिन प्रत्यारोपित किए गए कूल्हे दोषपूर्ण पाए गए।
एएसआर हेल्पलाइन के जरिये केवल 882 पीड़ित मरीजों की ही पहचान हो पाई है। बताया जा रहा है कि मुख्य चुनौती प्रभावित मरीजों की पहचान करना और उनके मुआवजे की राशि तय करना है। हमारी योजना क्षेत्रीय समितियां बनाने की है जो अपने क्षेत्र में प्रभावित मरीजों की पहचान करेंगी और फिर उन्हें केंद्रीय समिति को भेजेंगी। मरीजों की विकलांगता जानने के लिए उनकी जांच की जाएगी। इसके लिए कई तरह के परीक्षण किए जाएंगे जिनका खर्च कंपनी वहन करेगी। हर मरीज की रिपोर्ट केंद्रीय विशेषज्ञ समिति को सौंपी जाएगी जो मरीजों द्वारा सौंपी गई रिपोर्टों और दस्तावेजों की समीक्षा करेगी तथा उसके बाद मुआवजे की राशि तय करेगी। एक अधिकारी ने बताया कि विकलांगता की स्थिति के आधार पर मुआवजे की राशि तय की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि इससे मरीज की सामान्य जिंदगी और आजीविका कमाने की क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ा है। मुआवजे की राशि 20 लाख रुपये से कई करोड़ रुपये तक हो सकती है।
सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि कूल्हे के प्रत्यारोपण से संबंधित डेटा अस्पतालों में उपलब्ध है। लेकिन इस मामले में मरीजों को ढूंढना एक बहुत बड़ी समस्या है क्योंकि अस्पतालों का कहना है कि उनके पास डेटा मौजूद नहीं हैं क्योंकि सर्जरी के 3 साल बाद डेटा रखना अनिवार्य नहीं है। सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि कंपनी ने 2010 में स्वैच्छिक रूप से इस उपकरण को वापस लेने का फैसला किया और उसके बाद देश में न तो इसका आयात किया और न ही इसे बेचा। लेकिन सरकार ने भी इसके आयात का लाइसेंस रद्द कर दिया था। अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने दुनियाभर में इस उपकरण का निर्माण, आयात और बिक्री बंद कर दी। उस समय मौजूद स्टॉक को वापस मंगा लिया गया।