धनबाद। टीबी की दवा पायराजिनामाइड का सैंपल जांच के दौरान फेल पाया गया है। जिला यक्ष्मा विभाग में यह दवा टीबी के मरीजों को खिलाने के लिए मंगवाई गई थी। इस दवा का सैंपल लेकर लैब में जांच करवाई गई तो यह खराब क्वालिटी की मिली।
कंपनी पर कार्रवाई की तैयारी
ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है कि इस दवा की जांच रिपोर्ट मिल गई है। अब दवा बनाने वाली कंपनी और आपूर्तिकर्ता एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए झारखंड सरकार के ड्रग कंट्रोलर को पत्र लिखा गया है। वहां से परमिशन मिलने के बाद कोर्ट में केस दायर किया जाएगा।
बता दें कि टीबी मरीजों के लिए राज्यस्तर पर दवा की खरीद होती है। वहीं से दवा की सपलाई सभी जिलों में की जाती है। जिलास्तर पर इसका नि:शुल्क वितरण मरीजों को किया जाता है। जिले को सप्लाई में मिली टीबी की विभिन्न दवाओं का सैंपल लेकर ड्रग इंस्पेक्टर ने जांच करवाई थी। इस जांच में पायराजिनामाइड नामक दवा का सैंपल सब स्टैंडर्ड पाया गया। बाकी दवाएं जांच में सही पाई गईं। इस मामले में अब विभाग कार्रवाई की तैयारी में जुटा है।
एमडीआर मरीजों को दी जाती है यह दवा
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार टीबी के इलाज में पायराजिनामाइड टैबलेट खास दवा है। इसका इस्तेमाल मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के मरीजों के इलाज में किया जाता है। इन मरीजों का इलाज डॉट प्लस सेंटर के माध्यम से होता है। वहीं से ये दवा फ्री दी जाती है।
बैक्टीरिया को बढऩे से रोकती है दवा
डॉक्टरों के अनुसार पायराजिनामाइड टैबलेट एक एंटीबायोटिक है। इसका मुख्य कार्य टीबी रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को नियंत्रित करना है। शरीर के अंदर यह मायोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया की वृद्धि को रोककर उन्हें मार डालता है।
कंपनी पर केस दायर होगा
धनबाद के ड्रग इंस्पेक्टर रंजीत एक्का का कहना है कि यक्ष्मा विभाग की दवाओं का सैंपल जांच के लिए भेजा था। इसमें पायराजिनामाइड टैबलेट खराब क्वालिटी की मिली है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ड्रग कंट्रोलर रांची को पत्र लिखा है। इस दवा को बनाने वाली कंपनी और एजेंसी के खिलाफ कोर्ट में केस किया जाएगा।