नई दिल्ली। एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल पर हुए एक शोध में सामने आया है कि डॉक्टर और अनाधिकृत स्वास्थ्य सुविधाएं देने वाले लोग एंटीबायोटिक्स को नुकसानदायक जानकर भी इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं। यह उनके गैर जिम्मेदाराना रूप को दर्शाता है। ये अध्ययन कलकत्ता स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन (सीएसटीएम) और मेडिसिन सेंस फ्रंटियर (एमएसएफ) के इस अध्ययन में पाया गया है कि 77 फीसदी डॉक्टर जानते हैं कि एंटिबायोटिक्स किन स्थितियों में दिए जाते हैं। इसके बावजूद 87 फीसदी डॉक्टर जरूरत ना होने पर भी एंटिबायोटिक्स मरीजों को देते हैं। दरअसल ऊपरी श्वसन वायरल संक्रमण और दूसरी बीमारियों में बिना सोचे- समझे एंटीबायोटिक्स देने से मल्टीड्रग-प्रतिरोधी रोगाणु बढ़ जाते हैं। दिल्ली में एमएसएफ के मेडिकल एडवाइजर और अध्ययन के आगुवाई करने वाले शाकिब बुर्ज का कहना है कि अध्ययन से पता चलता है कि डॉक्टर एंटीबायोटिक्स को लेकर जरूरी नियमों को ध्यान में नहीं रखते हैं। बुर्ज और उनके सहयोगियों द्वारा 96 एलोपैथी डॉक्टर, 96 नर्स, 96 अनौपचारिक स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले और 96 दवाई विक्रेता से लिए गए सैंपल के आधार पर ये जानकारी सामने आई है। इसमें से करीब 88 फीसदी एलोपैथी डाक्टरों ने बताया कि वो जुकाम और गले में खराश जैसी समस्याओं के लिए भी एंटीबायोटिक्स लिखते हैं, जबकि नियमानुसार ये स्पष्ट है कि इस तरह की बीमारियों में एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती है।
ऐसा करने के पीछे कुछ डॉक्टरों ने तर्क दिया कि वो ये दवाइयां सेकेंडरी इंफेक्शन से बचने के लिए मरीज को देते हैं। जबकि कुछ का कहना है कि वो मरीज की मांग के अनुसार एंटीबायोटिक्स दे देते हैं। लगभग 20 फीसदी डॉक्टर के साथ 30 फीसदी नीम-हकीम और दवाइयों के दुकानदार एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाइयां से जुड़ी जानकारी के लिए दवाई कंपनी के प्रतिनिधियों पर निर्भर करते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि कई दवाई बनाने वाली कंपनियां दवाइयों के अनाधिकृत विक्रेता और नीम-हकीमों का बचाव कर रही हैं। बुर्ज ने कहा कि एंटीबायोटिक्स के खुले इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। ये लोग अपने व्यावसायिक फायदों के लिए एंटीबायोटिक्स का खुला इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दवाई कंपनियां ये सुनिश्चित करें कि वो दवाइयों के सही और उपयुक्त इस्तेमाल को बढ़ावा देंगी और इसके गैर-जिम्मेदाराना इस्तेमाल को रोकने की दिशा में काम करेंगी। उनका कहना है कि ऐसे में जरूरी है कि एंटीबायोटिक्स के बारे में लोगों और स्वास्थ्य सुविधाएं देने वालों को व्यापक जानकारी दी जाए।