मुंबई। बड़ी डिफॉल्टर्स कंपनियों को फिर से इंजेक्शन सप्लाई का काम दे दिया गया है। स्थायी समिति ने बिना किसी विरोध के इस टेंडर को पास कर दिया। इससे पहले, जुलाई में दवा सप्लाई में देरी करने वाली पांच कंपनियों को अलग कर बाकी कंपनियों को काम दिया गया था। स्थायी समिति में लिए गए फैसले का बचाव करते हुए अध्यक्ष यशवंत जाधव ने कहा कि मरीजों के हितों को ध्यान में रखकर हमने सभी की सहमति से प्रस्ताव मंजूर किया है। इनमें कई बेहद महत्वपूर्ण इंजेक्शन हैं। इनकी आपूर्ति न होने से मरीजों को दिक्कत आ रही थी। हमने देरी करने वाले ठेकेदारों पर जुर्माना लगाते हुए काम सौंपा है। बीएमसी देरी से आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों का विकल्प दो महीने में भी नहीं खोज पाई। इसी के चलते आवश्यकता को देखते हुए उन्हीं ठेकेदारों को फिर से काम सौंपा गया है।
अस्पतालों में दवाओं को लेकर जारी प्रशासन की लापरवाही के मुद्दे पर स्वास्थ्य समिति की बैठक स्थगित कर दी गई। बैठक में सदस्यों ने इस संदर्भ में सवाल उठाने शुरू कर दिए। इसके बाद एडिशनल कमिश्नर की मौजूदगी में ही बैठक करने का फैसला करते हुए अध्यक्ष अमेय घोले ने बैठक स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि बीएमसी अस्पतालों में दवाओं का टेंडर इस महीने समाप्त होने को है। नई टेंडर प्रक्रिया पूरी न होने से आने वाले महीनों में दवाओं की किल्लत हो सकती है। पिछले एक साल से अस्पतालों में दवाओं का संकट चल रहा है। इसके अलावा, अन्य उपकरणों की भी टेंडर प्रक्रिया समय से पूरी न होने से मरीजों की दिक्कत बढ़ सकती है।