रोहतक। प्रदेश भर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में तैनात डॉक्टरों को कॉमन पूल में लाने की तैयारी का विरोध पीजीआईएमएस के 350 से अधिक सीनियर डॉक्टर कर रहे हैं। अब तक सहायक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर स्तर के डॉक्टर ही रोष जता रहे थे। लेकिन अब मैदान में प्रोफेसर व सीनियर प्रोफेसर भी आ गए हैं। सभी का कहना है कि यदि जबरन कोई नियम थोपा गया तो संस्थान के 350 से अधिक सीनियर डॉक्टर सड़क पर विरोध करने से लेकर कानूनी लड़ाई तक लड़ेंगे।
पीजीआईएमएस के डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि सरकार की तैयारी है कि स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की तरह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को भी एक नियम से बांध दिया जाए ताकि जरूरत के हिसाब से डॉक्टरों का तबादला किया जा सके। इसी नियम का पीजीआईएमएस के डॉक्टर विरोध कर रहे हैं क्योंकि सरकार गलत नियम बनाने जा रही है। जब उनकी नियुक्ति हुई थी तो पंडित बीडीएस हेल्थ विवि के एक्ट के तहत उनका तबादला नहीं हो सकता। इसी शर्त को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यहां नौकरी ज्वाइन की थी और कई अन्य अच्छे मौके छोडे़।
पीजीआईएमएस रोहतक में प्रदेश के सभी डॉक्टरों के काम करने की इच्छा होने के चलते ही यहां मेरिट लिस्ट हायर जाती है। जिन डॉक्टरों का यहां चयन नहीं हो पाता तो वह प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में जाते हैं। कुछ मेडिकल कॉलेज तो ऐसे हैं, वहां कोई डॉक्टर ही नहीं जाना चाहता। यदि सरकार नियम बना भी रही है तो वह नई भर्ती पर लागू हो सकता है। पुरानी भर्ती पर नियमानुसार पुराना ही कानून लागू होगा। यदि इसमें जबरन फेरबदल किया जाएगा तो डॉक्टर सड़क से लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होंगे।
पीजीआईएमएस के डॉक्टरों ने सोशल ग्रुप पर रोष जताते हुए कहा है कि हम कोरोना की तीसरी लहर की चिंता कर रहे हैं और तैयारियों में जुटे हैं। प्रशासन सरकार मिलकर हमारा भविष्य चौपट करने की तैयारी में है। संस्थान ने डॉक्टरों ने विरोध स्वरूप हस्ताक्षर अभियान चलाया हुआ है। इस बार अभियान में खास है कि सीनियर डॉक्टर भी विरोध में शामिल हो रहे हैं। संस्थान में चर्चा है कि अभी डॉक्टरों को कॉमन पुल में डालने की योजना है। भविष्य में यही नियम नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारियों पर भी लागू होगा। ऐसे में मेरिट के आधार पर अपने पसंदीदा संस्थान में चयन होने का क्या लाभ है।
हरियाणा स्टेट मेडिकल टीचर एसोसिएशन के प्रधान डॉ. आरबी जैन ने कहा कि सरकार गलत नीति बना रही है। हमसे पहले हेल्थ विवि में ऑप्शन मांगा था तब नियुक्ति हुई थी। अब अपनी मनमर्जी चलाने की तैयारी है। इससे मरीजों का उपचार, मेडिकल शिक्षा सब कुछ प्रभावित होगा। मेडिकल कॉलेजों में राजनीति ठीक नहीं है। इसका डॉक्टर हर तरह से विरोध कर रहे हैं।