चंडीगढ़: मनमाफिक रेट पर दवा बेचने के खेल में डॉक्टर और फार्मा कंपनियों के साथ कैमिस्ट भी बराबर साझीदार है। रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली दवाओं में कैमिस्ट एमआरपी बदलकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। कैमिस्ट लोकल फार्मा कंपनियों से हाई एमआरपी बैच छपवा लेते हैं और फिर दवा खरीददार को उचित छूट देकर अपना दायित्व निभाने का भी ढोंग कर लेते हैं।
सरकारी अस्पताल में इलाज ले रहे एक रोगी के पर्चे पर लिखी गई बाहर की दवाई से यह गडबड़झाला उजागर हुआ। पता चला कि दवा खरीदने वाला जब कैमिस्ट के पास प्रिस्क्रिप्शन लेकर जाता है तो लिखी दवाओं में एक या दो दवा बदल देता है। कैमिस्ट हूबहू कंपनी या नाम वाली दवा नहीं होने की बात कह कर दवा खरीददार को उसका सबस्टीट्यूट उपलब्ध करवाता है, जिस पर उसने मनमाफिक एमआरपी प्रिंट करवाया होता है।
रोहतक पीजीआई कैंपस में बनी दवा दुकानों और शहर में पांच सितारा अंदाज में खोले गए अस्पतालों के इर्द-गिर्द यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। बाकी राज्य के तमाम जिलों में इस तरह के धंधे की कोई कमी नहीं है। मोटे पैकेज और छूट के बोर्ड लगाकर अस्पताल चलाने वाले ये पांच सितारा स्टाइल अस्पताल, लगता है इलाज नहीं माल बेच रहे हैं। 10 रुपये की दवा 100 रुपये में मिलती है। पीजीआई के मेडिसिन विभाग में दाखिल एक मरीज के पर्चे पर लिखी दवा में सीधे तौर पर 10 हजार रुपये का खेल सामने आया है। जो दवा संबंधित डॉक्टर ने तय दुकान से लाने के लिखी लिखी वहां करीब 15 हजार रुपये बताए गए, जबकि वही दवा बाजार की अन्य कैमिस्ट शॉप से ली गई तो 4500 रुपये में मिल गई। यह एक केस है, जिसका पता लगा।
औषधि नियंत्रक अधिकारी कहते हैं, ज्यादातर दवाओं की कीमत ड्रग प्राइसिंग कंट्रोल अथॉरिटी द्वारा नियंत्रित की जाती है। इसकी सूची सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है। हालांकि राज्य में कई दफा तय मूल्य से अधिक पर दवा प्रिंट पकड़े गए हैं।  विभाग ने कैमिस्टों को सख्त हिदायत दे रखी है कि उचित मूल्य पर गुणवत्तापरक दवाओं की बिक्री करें। समय-समय इस दिशा में छापेमारी अभियान चलाया जाता है।
विशेषज्ञों की मानें तो कार्पोरेट अस्पतालों से हाई एम.आर.पी. बैच प्रिंट करवाने की डिमांड आती है, और कई बार फार्मेसी की तरफ से भी रोजाना दवाओं को हाई एम.आर.पी. पर प्रिंट करने की मांग होती है। फार्मास्यूटिकल कंपनी के लिए यह नई बात नहीं। वजह ड्रग कंट्रोल प्राइसिंग अथॉरिटी कुछ ही दवाओं के मूल्य कंट्रोल कर रहा है, जिसमें कई लाइफ सेविंग दवाएं नहीं है। ऐसे में कौन कितने में हाई एम.आर.पी. पर दवा बेच रहा है, कोई चैक नहीं कर सकता। मल्टी विटामिन, एंटी बायोटिक्स, आर्थो मसल रिलेक्सैंट, गैस्ट्रो की दवाओं के स्बस्टियूट को अलग बैच नंबर पर हाई एम.आर.पी. प्रिंट का खेल ज्यादा होता है।