मंडला ( मप्र)। जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय में कमीशन के लिए सरकारी दवाओं का काला कारोबार जोरों पर चल रहा है। इससे आदिवासी बहुल्य अंचल के गरीब मरीजों का जमकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सालय में आने वाले मरीजों में ज्यादातर गरीब और श्रमिक लोग शामिल हैं। अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को पर्ची पर चिकित्सक की लिखी दस दवाओं में अस्पताल से मात्र 3-4 दवा ही उपलब्ध कराई जा रही है। चिकित्सक स्पष्ट रूप से शहर की एक दवा दुकान का नाम लेकर मरीजों को वहां दवा खरीदने को भेज रहे हैं। साथ ही चिकित्सालय के रिकार्ड में पर्चे में लिखी वह सभी दवाइयां दर्ज की जा रही हैं, जिन्हें चिकित्सक ने लिखा तो है लेकिन मरीज को वह दवा अस्पताल से न देकर बाहर की दवा दुकान से खपाई जा रही है। यानि शासन की आंखों में भी धूल झोंकी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, चिकित्सालय का दवा स्टॉक बाहर की दुकानों को उपलब्ध कराया जा रहा है और वहीं से मरीजों को बेचा जा रहा है। शासन की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई दवा को मरीज खरीदने को विवश है और दवा दुकानदार उस निशुल्क दवा के बदले मुंह मांगी कीमत वसूल कर रहे हैं और उसमें कमीशन चिकित्सालय में पदस्थ उन अधिकारी-कर्मचारियों को भुगतान कर रहे हैं, जिनकी मिलीभगत से यह गोरखधंधा चलाया जा रहा है।
इस बारे में डॉ गायत्री उइके, आरएमओ, शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, मंडला का कहना है कि नियमानुसार, रिकार्ड में सिर्फ उन्हींं दवा की एंट्री होनी चाहिए जो चिकित्सालय से मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही है। यदि रिकार्ड में उन दवाओं की भी एंट्री की जा रही है जो मरीज को नहीं दी जा रही तो इस तरह की लापरवाही पर तत्काल रोक लगाई जाएगी।