नागपुर। डॉक्टर के खिलाफ मरीज को दवा बेचने के केस को हाईकोर्ट ने रद कर दिया है। डॉ. प्रशांत टिपले के खिलाफ फौजदारी मामला दर्ज किया गया गया था और विशेष न्यायाधीश ने डॉक्टर को दोषी भी करार दिया था। आरोपी डॉक्टर ने इस केस के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश के आदेश को कैंसिल की दिया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मरीज को दवा बेचने के लिए डॉक्टर पर केस नहीं चलाया जा सकता। लाइसेंस के बिना डॉक्टर द्वारा मरीजों को दवा बेचने की सूचना मिलने पर ड्रग इंस्पेक्टर ने डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
यह है मामला
याचिकाकर्ता एक मनोचिकित्सक है। दवा बेचने की सूचना पर दवा निरीक्षक ने उनके क्लीनिक पर एक डमी मरीज को भेजा। डॉक्टर ने मरीज की जांच कर दवाइयां लिखीं और बिल के तहत उसके पास उपलब्ध दवाइयां बेचीं। सरकारी पक्ष के अनुसार मामला यह है कि याचिकाकर्ता द्वारा मरीज को दवाइयों का स्टॉक और बिक्री के अधिनियम की धारा 18 (सी) के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसके लिए विशेष न्यायालय में शिकायत दर्ज की गई और याचिकाकर्ता के खिलाफ नोटिस भी जारी किया गया।
याचिकाकर्ता एक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी है। धारा 18(सी) यह 1040 के अधिनियम के अध्याय 4 का एक हिस्सा भर है। औषधि नियम 1945 के अनुसार विशेष रूप से नियम 123 के अनुसार अनुसूचित में निर्दिष्ट औषधियों को इसमें छूट दी गई है। विश्लेषक की रिपोर्ट के अनुसार, दवा मानक गुणवत्ता की थी अर्थात नकली दवा नहीं थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने डाक्टर के पक्ष में फैसला सुनाया है।