रोहतक। देशभर में सोमवार को एक बार फिर से डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। रोहतक स्थित पीजीआईएमएस में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी सेवाएं भी ठप हो गई। इससे स्थानीय के अलावा दूर-दराज से आए मरीजों को भी भटकना पड़ा। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के साथ हुई हिंसा के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर देशभर के करीब 5 लाख डॉक्टर सामूहिक हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टरों की मांग है कि मेडिकल प्रोफेशनल्स के साथ होने वाली हिंसा से निपटने के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाए। अस्पतालों को सेफ जोन घोषित किया जाए। साथ ही, सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए। गौरतलब है कि कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में एक बुजुर्ग की इलाज के दौरान मौत के बाद उसके परिजनों ने हंगामा करते हुए डॉक्टरों की पिटाई कर दी थी।
दूसरी ओर, पीजीआई रोहतक में पीजी चिकित्सक की आत्महत्या करने के मामले में चिकित्सक हड़ताल पर चल रहे हैं। हालांकि डाक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं जारी रखने का ऐलान किया था, लेकिन समाचार लिखे जाने तक पीजीआई में ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित रहीं। इससे वार्ड, इमरजेंसी समेत ट्रॉमा सेंटर खाली पड़े हुए हैं। चिकित्सकों की मांग है कि आरोपित विभागाध्यक्ष डा. गीता गठवाला को बर्खास्त करने के साथ ही मरीजों की फाइल रखने की जिम्मेदारी उनसे हटाते हुए स्टाफ नर्सों को दी जाए, साथ ही एक चिकित्सक से सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे ही कार्य कराया जाए। इस संबंध में पीजीआइएमएस के पीआरओ डा. वरुण अरोरा का कहना है कि हड़ताली चिकित्सकों से बात करने के लिए टीम मौके पर गई थी। चिकित्सकों की मांगों पर सहमति नहीं बन पाई है। नियमानुसार जो भी चिकित्सकों की मांगें हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा।