नई दिल्ली। ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में सही समय पर दवा को पहुंचाना एक बड़ी समस्या है। इसके लिए कैलिफोर्निया स्थित ऑटोमैटेड लॉजिस्टिक कंपनी जिपलाइन ने ड्रोन सुविधा को भारत में सेट अप करने की बात कही है। इसे महाराष्ट्र सरकार साझेदारी कर जीवनरक्षक दवाएं ड्रोन के जरिए पहुंचाने की योजना बना रही है। महाराष्ट्र सरकार अगले साल की शुरुआत में इस सुविधा को ऑपरेट करेगी। जिपलाइन के सीईओ केलर रिनाउडो का कहना है कि दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों की मौत सही दवा (जिसकी जरूरत हो) नहीं मिलने से हो जाती है। ऐसे में दवाओं को सही वक्त पर पहुंचाकर इस समस्या से पार पाने में ड्रोन मदद कर सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि लाखों लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक रक्त और महत्वपूर्ण दवाएं मिल सकेंगी। वहीं, जिपलाइन के वैश्विक संचार और सार्वजनिक मामलों के प्रमुख जस्टिन हैमिल्टन कहते हैं कि यदि बच्चे के जन्म के समय मां को रक्तस्राव होने लगे और उस समय रक्त की जरूरत होती है, तो डॉक्टर जिपलाइन व्हाट्सएप कर सकते हैं। इसके बाद निकटतम डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर ड्रोन पर पैराशूट के साथ एक पैकेट में आवश्यक ब्लड ग्रुप को लोड करेगा और वो पैकेट 4-6 घंटे के बजाय सिर्फ 30 मिनट में पहुंच जाएगा।
हैमिल्टन ने बताया कि ड्रोन की क्षमता 1.8 किलोग्राम है और यह जिपलाइन डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर की किसी खास जगह से ही उड़ान भर सकता है। इसके लिए अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर या मैनपावर की जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि इसका काम चरणबद्ध तरीके से करने की योजना है। पहले दो डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर पुणे और नंदुरबार में स्थापित होंगे। इसे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अनुदान से सेट अप किया जाएगा। हैमिल्टन का कहना है कि सीरम इंस्टीट्यूट के साथ हमारी साझेदारी बहुत व्यापक है। हम इस तकनीक को पूरे भारत में सेट अप करने की योजना के साथ काम कर रहे हैं। इसे निजी स्वास्थ्य सुविधाओं से भी जोड़ेंगे। यह ड्रोन आकाश एंबुलेंस की तरह है, जो किसी के जीवन को बचाने में मदद करेगा।