शिमला। आयुर्वेद विभाग की तीनों सरकारी फार्मेसी में दवाइयां बनानी बंद हो गई हैं। इसकी वजह दवाओं के निर्माण के लिए कच्चा माल (जड़ी बूटियां) उपलब्ध नहीं करवाना बताया गया है। गौरतलब है कि 2017 से पहले तक सरकारी क्षेत्र की इन फार्मेसी को नियमित तौर पर कच्चा माल मिलता था और जरूरी दवाओं का उत्पादन भी होता था। सिरमौर जिले के माजरा, कांगड़ा के पपरोला और मंडी के जोगेंद्रनगर में सरकारी क्षेत्र की तीन फार्मेसी हैं। इनमें दवा निर्माण बंद हो गया हैं और कुल 150 चिकित्सक व तकनीकी स्टाफ खाली बैठा है। दवाओं का निर्माण बंद होने के बाद आयुर्वेद विभाग ने लगातार दूसरे साल साढ़े तीन करोड़ मूल्य की दवाओं की खरीद बाहर से की। प्रदेश सरकार की तरफ से हर वर्ष करीब 3.50 करोड़ रुपये कच्चा माल और दवाओं की खरीद करने के लिए प्राप्त होता है। हर साल जड़ी-बूटियों की खरीद के लिए निविदा होती रही हैं। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आयुर्वेद विभाग में अचानक जड़ी-बूटियों से जुड़ा कच्चा माल खरीदने पर रोक लगाने का निर्णय किसने लिया। क्या विभाग के स्तर पर प्रस्ताव पारित किया था, या प्रदेश सरकार ने अपनी फार्मेसियों में दवा निर्माण पर रोक लगाई गई है। इस संबंध में आयुर्वेद विभाग की निदेशक कृतिका कुलहरी का कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। तीन फार्मेसी में दवा बनती है या नहीं, इसकी जानकारी के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।