पटना। ड्रग विभाग ने पिछले साल छापामारी कर जिन दवा दुकानों के लाइसेंस कैंसिल कर दिए थे, उनके लाइसेंस फिर से बहाल कर डाले हैं। इससे ड्रग विभाग की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। गौरतलब है कि ड्रग विभाग ने बीते साल अप्रैल-मई में चलाएग गए विशेष अभियान के तहत करीब दो दर्जन मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की थी। इस दौरान 90 दवा कारोबारियों पर कुल 35 एफआईआर की गई।
ड्रग विभाग की टीम ने तकरीबन 25 लाख की एक्सपायर्ड दवाएं बरामद कीं। टैंपर किए हुए एंटी स्नेक वेनम मिले। री-स्टैंप किया हुआ कफ सिरप मिला। यहां तक कि सरकारी अस्पतालों में दी जाने वाली दवाएं भी बरामद हुईं। नंदलाल छपरा स्थित श्रीनिवास (गुजरात) लेबोरेट्रीज के यहां भी तीन दिनों तक छापेमारी चली। श्रीनिवास के यहां से ड्रग डिपार्टमेंट की टीम ने लाखों रुपए मूल्य की एक्सपायर दवाएं बरामद की थी। वहीं कंकड़बाग के प्रोफेसर कॉॅलोनी स्थित आस्था मेडिको में अप्रैल 2016 में टीम ने छापेमारी की गई थी। यहां से भी एक्सपायर दवाएं मिली। इन मामलों में से 50 से अधिक की गिरफ्तारी हो चुकी है। लेकिन, अब एक साल बाद आरोपों और साक्ष्य के आधार पर जिन दवा दुकानों के लाइसेंस कैंसिल किए गए थे, उनमें से तीन दवा दुकानों के 14 लाइसेंस फिर बहाल हो गए हैं और कई लाइसेंस बहाली के लिए कतार में हैं।
दरअसल, लाइसेंस रद्द होने के बाद महालक्ष्मी ट्रेडर्स ने बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के कोर्ट में अपील की। सुनवाई के दौरान मंत्री के समक्ष सहायक औषधि नियंत्रक ने पक्ष रखा कि इनके प्रतिष्ठानों से एक्सपायर्ड दवाएं री-स्टंपिंग के लिए संचित पाई गईं। वहीं, प्रतिष्ठान ने कहा कि री-स्टंपिंग के उपकरण-इंक आदि जांच टीम को नहीं मिले थे। जो एक्सपायर्ड दवाएं मिलीं, वह अलग रखी हुई थीं। मंत्री ने सहायक औषधि नियंत्रक के आदेश को संशोधित कर दिया। दुकानें फिर से खुलने लगीं। इसी तरह मंत्री के कोर्ट ने आस्था और श्रीनिवास के छह लाइसेंस को बहाल कर दिया। इस बीच जांच में जुटे अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया है और विभाग से पूछा है कि जांच में जुटे अधिकारियों का तबादला क्यों हुआ। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार का कहना है कि यह लीगल प्रोसेस है। कानूनी प्रक्रिया और नियमों के तहत ही मंत्री के कोर्ट से लाइसेंस बहाल हुआ है। यदि कोई गड़बड़ी है तो एक बार फिर से सारे कागजातों को देखना होगा। अगर इसके बाद भी कोई शिकायत आती है तो विभाग कार्रवाई करेगा।