साहिबगंज (झारखंड)। जिले के थोक दवा व्यापारियों ने बड़ा फैसला लिया है। अब वे शहर में निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों को दवा की सप्लाई नहीं करेंगे। थोक दवा व्यापारियों ने यह निर्णय ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा जिले के करीब एक दर्जन दुकानों का लाइसेंस निलंबित करने के चलते लिया है। जानकारी अनुसार, जिले में कई चिकित्सक अपने आवास पर मरीजों को देखते हैं। मरीजों को वे दवा भी उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए थोक विक्रेताओं से दवा खरीदते हैं। राज्य औषधि निदेशालय ने पिछले दिनों जिले के करीब एक दर्जन थोक दवा विक्रेताओं से स्पष्टीकरण मांगा था। इसमें कहा गया था कि निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों को दवा बेचने का अधिकार नहीं है। ऐसे में दवा बेचने के आरोप में क्यों न उनकी दुकान की अनुज्ञप्ति रद्द कर दी जाए। सभी थोक दवा विक्रेताओं ने इसका जवाब भी दिया। जवाब से असंतुष्ट राज्य औषधि निदेशालय ने जिले के करीब 10 थोक दवा विक्रेताओं का लाइसेंस एक माह के लिए निलंबित कर दिया है। इस अवधि में उनकी दुकानें बंद रहेंगी। अगर दुकान खोली गई तो कार्रवाई की जाएगी। उधर, दवा न मिलने की वजह से चिकित्सक अपने मरीजों को दवा उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। इससे मरीज परेशान हो रहे हैं। मामले पर विचार करने के लिए शहर के चिकित्सकों व दवा व्यापारियों की बैठक हुई। इसमें दवा व्यापारियों ने दवा सप्लाई करने में असमर्थता जताई। आइएमए के अध्यक्ष डॉ. विजय ने कहा कि निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक मरीजों को दवा उपलब्ध करा सकते हैं। इसमें कहीं से भी कानून का उल्लंघन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि औषधि निरीक्षक का यह कदम गलत है। आइएमए के सचिव डा. मोहन पासवान ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन एमसीआई के नियम-परिनियम को संलग्न करते हुए राज्य ड्रग नियंत्रक से पत्राचार कर मार्गदर्शन मांगेंगे कि वे चिकित्सकों को दवा दे सकते हैं या नहीं। मार्गदर्शन मिलने तक वे चिकित्सकों को दवा उपलब्ध कराएं। बैठक में डॉ. आरएस झा, डॉ. रंजन कुमार, डॉ. अशफाक अहमद, डॉ. ए इमाम, हाशिम परवेज, अनूप कुमार सिंह, शाहनवाज जफर, प्रमोद केजरीवाल आदि उपस्थित रहे।