हिसार। कोरोना आपदा में अवसर ढूंढते हुए महामारी में दवाइयों की कालाबाजारी करने वाले शहर के तीन आरोपी अब फरार हो गये हैं। एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले के तीनों आरोपी अरुण खुराना, पार्थ खुराना और मुकेश मलिक गिरफ्तारी के डर से परिवार सहित गायब हैं। पुलिस तीनों की गिरफ्तारी के लिए उनके ठिकानों पर छापमारी कर रही है। लेकिन उनका अब तक सुराग नहीं लगा है। अपर कोर्ट से सोमवार को तीनों की जमानत रद्द होने के बाद से पुलिस उन्हें ढूंढ रही है। क्योंकि निचली कोर्ट से मिली जमानत रद्द होने के बाद अपर अदालत ने तीनों को आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए थे। उनके ऐसा नहीं करने पर अदालत ने हिसार पुलिस अधीक्षक को तीनों को गिरफ्तार करके अदालत में पेश करने के निर्देश दिये थे।
मामले की जांच कर रहे सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार के अनुसार अब तक तीनों का कोई सुराग नहीं लगा है। बताया जाता है कि एक आरोपी इलाज के लिए मेदांता अस्पताल में भर्ती था। लेकिन पिछले महीने वो छुट्टी ले चुका है। अब तय समय सीमा में अगर तीनों की गिरफ्तारी नहीं होती है। तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार दूसरा केस भी दर्ज किया जा सकता है।
बता दें कि 2 मई को हिसार के वरिष्ठ पत्रकार कुमार मुकेश व आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश वर्मा ने एक स्टिंग आप्रेशन किया था। इसमें होली हेल्प अस्पताल के अंदर बने होली मेडिकल हॉल के संचालक अरुण खुराना व उसके भतीजे पार्थ खुराना को एंट्री वायरल ड्रग रेमडेसिविर की कालाबाजरी करते हुए पकड़ा गया था। इस बारे में अर्बन एस्टेट थाना पुलिस ने वरिष्ठ दवा नियंत्रक अधिकारी (एसडीसीओ) रमन श्योराण की शिकायत पर दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और मेडिकल स्टोर संचालक को मौके पर ही गिरफ्तार किया गया था। |
जांच के दौरान पुलिस ने मुकेश मलिक नामक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया था। बाद में तीनों आरोपियों की निचली अदालत से जमानत हो गयी थी। जिस पर काफी सवाल उठे थे। अब इस मामले में जहां तीनों आरोपी जमानत रद्द होने के बाद से फरार हैं। वहीं मामले के मुख्य आरोपी अरुण खुराना के होली हेल्प अस्पताल स्थित मेडिकल स्टोर के लाइसेंस को ड्रग विभाग ने दो माह के लिए निलंबित कर दिया है। मेडिकल स्टोर के लाइसेंस को 4 जून से 3 अगस्त तक के लिए दो माह के लिए निलंबित कर दिया गया है। क्योंकि जांच के दौरान मेडिकल स्टोर में काफी खामियां मिली थी।