नई दिल्ली। सरकार ने दवाओं और कॉस्मेटिक आइटम्स की पैकेजिंग में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। दवाओं की पैकेजिंग में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है और इससे हर साल बड़ी मात्रा में देश में प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है। सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर इस मसले पर डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स ने बैठक की। बैठक में दवाओं की पैकेजिंग में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया। बैठक में दवा, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ ही केमिस्ट संगठनों को भी बुलाया गया था।
दवाओं को प्लास्टिक या पीईटी (पॉलीएथिलीन टेरेथैलेट) बॉटल्स में बिक्री पर रोक नहीं लगाई गई है। कुछ साल पहले सरकार ने ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड की सलाह पर पैनल का गठन किया था। पैनल ने सरकार से कहा था कि पीईटी और प्लास्टिक बॉटल्स में लिक्विड दवाओं को रखा जाना सेहत के लिए ठीक नहीं है, लिहाजा इस पर रोक लगा देनी चाहिए। कई संगठन इस पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्लास्टिक या पीईटी बॉटल्स में पाए जाने वाले थैलेट्स स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। पैकिंग में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है।
शरीर में इनके प्रवेश करने से हॉर्मोन का रिसाव करने वाली ग्लैंड्स के कामकाज पर बुरा असर पड़ता है। इस मामले में अमेरिका की ब्रीघम यंग यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने 2350 महिलाओं पर एक स्टडी की। वैज्ञानिकों का कहना है कि थैलेट्स से हॉर्मोन का रिसाव करने वाली ग्लैंड्स के कामकाज पर बुरा असर पड़ता है इसे इंसान के डायबिटीज की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है।