लखनऊ: सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली दवा में कटौती शुरू हो गई है। ऐसा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण हो रहा है। गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी तीन दिन से ज्यादा की दवा नहीं मिल रही। विभाग ने दवाओं के रेट कॉन्ट्रेक्ट (आरसी) की अवधि अगस्त तक बढ़ाई थी लेकिन अगस्त के बाद नई आरसी नहीं की। इस पर कंपनियों ने सप्लाई बंद कर दी और अस्पतालों में दवाओं का संकट छा गया। सीएमओ कार्यालय स्थित मुख्य दवा स्टोर के फार्मासिस्ट डॉ.आरआर चौधरी के मुताबिक, कई दवाओं की आरसी खत्म हो गई है। अस्पतालों से दवाओं की डिमांड आ रही है। इसकी सूचना सीएमएसडी को भेज दी गई है।
सेंट्रल मेडिसिन ड्रग स्टोर (सीएमएसडी) ने दवाओं की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए इसी साल ड्रग एड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम नाम का सॉफ्टवेयर तैयार करवाया है लेकिन तकनीकी खामियों के कारण इसका इस्तेमाल शुरू नहीं हो सका। जिसके चलते अस्पतालों में नई दवा सूची डाउनलोड नहीं हो सकी। सूत्रों की मानें तो अफसरों ने सॉफ्टवेयर के जरिए खरीद के चक्कर में नए वित्तीय वर्ष में दवाओं का नया रेट कॉन्ट्रेक्ट करने के बजाय पुराना कॉन्ट्रेक्ट ही अगस्त तक बढ़ाया था।
दवा सप्लाई बंद होने के बाद अस्पतालों में कुछ दिन तो जैसे-तैसे काम चलता रहा, लेकिन अब दवाओं की किल्लत शुरू होने लगी। कई अस्पतालों में 30 फीसदी तक दवाएं खत्म हो चुकी हैं बाकी का स्टॉक भी बेहद कम बचा है। जरूरत पर कई अस्पतालों में लोकल परचेज के जरिए मरीजों को दवाएं मुहैया करवाई जा रही हैं, लेकिन मरीजों को इसका खास फायदा नहीं मिल रहा। ज्यादातर मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।