नई दिल्ली। ग्लोबल दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन का गलत हिप इंप्लांट के मामले में दोहरा रवैया सामने आया है। कंपनी अपने दोषपूर्ण प्रोडक्ट के खिलाफ अमेरिका में दर्ज 6000 मामलों के लिए जहां 1 अरब डॉलर का हर्जाना भरने को तैयार है, वहीं भारत के प्रभावित मरीजों को मुआवजा देने को तैयार नहीं है।
बता दें कि दवा कंपनी ने 2003 से 2013 के बीच बेचे गए अपने ‘दोषपूर्ण’ पिनेकल हिप इंप्लांट के खिलाफ मामले में अमेरिकी अदालत में यह हर्जाना देना स्वीकार किया है। वहीं, भारत में स्थिति इसके विपरीत है। यहां कंपनी अपने दोषपूर्ण हिप इंप्लाट बिक्री से प्रभावित रोगियों को मुआवजा देने में आनाकानी कर रही है।
सरकार की तरफ से मुआवजा दिए जाने के खिलाफ कंपनी ने हाईकोर्ट में केस दायर किया है। सरकार की तरफ से यह मुआवजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन गठित एक्सपर्ट कमेटी ने तय किया था। समिति के अनुसार गलत हिप इंप्लाट से प्रभावित मरीजों के लिए 20 लाख से एक करोड़ रुपये मुआवजा तय किया गया था। हैरानी की बात ये है कि कंपनी ने दावा किया है कि भारत में पिनेकल के मामले में गलत इंप्लाट के मामले की उसे कोई जानकारी ही नहीं है। देश में ऐसे चार मरीज सामने आए हैं। इनमें से तीन लोगों को तो पता ही नहीं है कि उन्हें पिनेकल का गलत हिप इंप्लाट किया गया है। जबकि दो मामलों में ई-मेल से यह स्पष्ट है कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी को मालूम है कि उसके प्रोडक्ट के कारण रोगियों की हालत खराब हो चुकी है। यहां हर रोगी अपने स्तर पर अपनी लड़ाई खुद लड़ रहा है। कंपनी के गलत प्रोडक्ट के चलते हिप इंप्लांट कराने वाले रोगियों की बॉडी में कोबाल्ट-क्रोमियम का रिसाव हो रहा है। इससे स्वास्थ से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं। इनमें खून में मेटल पॉइजनिंग, लगातार दर्द, शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचना शामिल है। इस बारे में कंपनी का कहना है कि उसके पास अभी तक कोई जानकारी नहीं है। वहीं, कंपनी ने अमेरिका में सेटलमेंट किए जाने के मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।