नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में संशोधन कर नई अधिसूचना जारी की है। इसके तहत अब किसी भी दवा का सैंपल फेल होने पर उस दवा की मार्केटिंग करने वाली फर्म भी उत्पादन फर्म (फार्मा मैन्यूफैक्चर्र) के बराबर जिम्मेदार होगी। इससे पहले तक खरीदी बिल देने के बाद मार्केटिंग फर्म की जिम्मेदारी नहीं होती थी। नई अधिसूचना के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी अन्य कंपनी द्वारा निर्मित की गई औषधि पर बिना करार के अपने नाम का लेबल लगाकर नहीं बेच सकेगा। जिसका लेबल लगा है (मार्केटिंग कंपनी) वही कंपनी (अर्थात थर्ड मैन्यूफैक्चरिंग करने वाली) दवा निर्माता के बराबर की जिम्मेवार होगी। यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (संशोधन) नियम, 2020 नियम एक मार्च 2021 से लागू होगा। आप पढ़ सकते हैं केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश की कॉपी।
केंद्र सरकार द्वारा किया गया फैसला जानकारों के अनुसार अगर लागू हो जाता है तो पूरे देश में बेनामी थर्ड पार्टी मैन्यूफैक्चरिंग करवा कई डॉक्टरों के साथ-साथ छोटे एमआर पर भी शिकंजे में आ जाएंगे। आज की तारीख में कई एमआर दर्जनभर डाक्टरों से सांठगांठ कर एक मार्केटिंग फर्म बनाकर माल इधर से उधर खपा देते थे। अधिकतर दवा डाक्टरों के बाहर बने काउंटरों ही खप जाती है, परन्तु जब उनके सैंपल लिए जाते थे तो लचीला कानून होने के कारण बिल दिखाकर एमआर व डॉक्टर साफ बच निकलते हैं और मार्केटिंग फर्म नए नाम से फिर थर्ड पार्टी माल बनवाकर माल बेचने में लग जाते हैं। इस नियम के लागू होने पर अब मार्केटिंग फर्म के लिए यह गोरखधंधा चलाना आसान नहीं होगा और वे कानून के शिकंजे में कसे जाएंगे।