शिवहर। कोरोना वैश्विक महामारी रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन की वजह से दुकानें बंद रहने से वैसे तो सभी प्रकार के व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। लेकिन लॉक डाउन में भी दवा की दुकानें खुलने की छूट मिलने के बावजूद दवा की बिक्री में भी जबरदस्त गिरावट आई है। जिले में दवा की बिक्री 40 फ़ीसदी तक तक की गिरावट आई है। सबसे ज्यादा प्रभाव जिले के खुदरा दवा विक्रेताओं पर पड़ी है। लॉक डाउन की वजह से लोगों के आने-जाने में रुकावट रहने से दवा की बिक्री काफी घट गई।
इसके अलावा काफी दिनों तक सरकारी अस्पताल में आउटडोर सेवा बंद रहने तथा निजी क्लीनिक भी बंद रहने के कारण दवा व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ। वैसे कोरोना वायरस संक्त्रमण कि खतरा से बचाव को लेकर सैनिटाइजर, सेवलॉन, डिटॉल लिक्विड, हैंड ग्लोब्स, मास्क आदि की बिक्री काफी बढ़ गई। वही वही कोरोना वायरस विक महामारी ने लोगों को संयमित बना दिया। साथ ही लॉक डाउन की वजह से प्रदूषण कम होने से लोग बीमार भी कम पड़े जिससे दवा की बिक्री कम हुई। जिला केमिस्ट एंड ड्रजिस्ट ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव नंदकिशोर चौधरी ने बताया कि लॉकडाउन के चलते दवा व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। जिले में 35 से 40 प्रतिशत दवा की बिक्री में कमी आई। ग्रामीण क्षेत्र के खुदरा विक्रेता शहर में कम आये। जिससे दवा की थोक बिक्री भी प्रभावित हुआ।
ज्योति मेडिकल हॉल के प्रोपराइटर राधा कांत गुप्ता उर्फ बच्चू ने बताया कि की लॉक डाउन की अवधि में दवा की बिक्त्री 30 से 40 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ। वैसे लॉक डाउन के कारण सभी प्रकार के व्यवसाय प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि खुदरा से अधिक थोक बिक्त्री प्रभावित हुआ। ग्रामीण क्षेत्र की दवा विक्रेता राजू कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में भी दवा की बिक्री में काफी कमी आई। दवा की बिक्री में कमी आने से दवा व्यवसायियों की परेशानी बढ़ गई है। उन्हें बैंक लोन का ब्याज, गोदाम व दुकान का किराया, बिजली बिल एवं स्टाफ आदि का खर्च वन करने में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा बाबा एक्सपायर होने का खतरा भी बढ़ गया है।