रांची। स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों की दवा खरीद में हुई गड़बड़ी की जांच के आदेश दिए हैं। वर्ष 2016-17 में केंद्रीय योजना के तहत सीएचसी और पीएचसी के लिए तीन करोड़ रुपए की दवा खरीदी गई थी। इन दवाओं को सही ढंग से नहीं बांटा गया और उचित रख-रखाव नहीं होने के कारण एक्सपायर हो गईं। इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। जांच कमेटी दवाओं के वितरण और रख-रखाव में लापरवाही के लिए दोषी अधिकारियों को चिह्नित कर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।
ज्ञातव्य है कि स्वास्थ्य विभाग के तहत आयुष विभाग के लिए 2016-17 में करीब तीन करोड़ रुपए की दवाएं खरीदी गईं। इसमें होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेदिक दवाएं शामिल थीं। इनका इस्तेमाल राज्य के 48 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और 97 पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) में होना था। लेकिन कई स्थानों पर डॉक्टर ही नहीं थे। इस कारण इन दवाओं का इस्तेमाल ही नहीं हो पाया। अब ये दवाएं एक्सपायर हो रही हैं। कई जिलों के प्रभारियों ने रिपोर्ट भेजी है। जामताड़ा, गोड्डा और दुमका जिले में ही लाखों की दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं। राज्य में 48 सीएचसी एवं 97 पीएचसी में आयुष क्लीनिक (को-लोकेटेड) चल रहे हैं।
इनके लिए आयुष दवाएं खरीदी गईं। आपूर्तिकर्ता कंपनियों को निर्देश था कि वे सीएचसी-पीएचसी में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। सेवानिवृत्ति, स्थानांतरण व मृत्यु के बाद इन क्लिनिकों में डॉक्टर ही नहीं बचे। जांच कमेटी के अध्यक्ष विभागीय अवर सचिव नंद किशोर सिंह बनाए गए हैं। सदस्यों के रूप में डॉ. वकील कुमार सिंह, प्राचार्य राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी महाविद्यालय साहेबगंज, डॉ. सविता कुमारी, व्याख्याता सह प्रभारी प्राचार्य राजकीय होम्योपैथिक कालेज गोड्डा और डॉ. फजलूस शमी, यूनानी चिकित्सा पदाधिकारी जिला संयुक्त औषधालय रांची शामिल हैं। विभागीय अवर सचिव ने डॉ. वकील कुमार सिंह को निर्देश दिया है कि दवाओं की खरीद से संबंधित फाइल, भंडार पंजी, भुगतान से संबंधित फाइल, भुगतान किए गए चेक की फोटो कॉपी, जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी और डॉक्टरों से प्राप्त व्यय आदेश की कॉपी आदि प्राप्त करें, ताकि इस पर जांच आगे प्रारंभ की जा सके।