हमीरपुर। अब राज्य के दवा दुकानदारों को अपने यहां बेची जाने वाली दवाओं का पूरा रिकॉर्ड रखना होगा। वहीं वे डॉक्टर की पर्ची देखकर ही दवा की बिक्री कर सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ड्रग इंस्पेक्टरों ने शहरी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस बारे में दवा दुकानदारों को हिदायतें देनी शुरू कर दी हैं। विभाग यह कार्रवाई नशीली दवाइयों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए कर रहा है।
विभाग का मानना है कि नशीली दवाओं की बिक्री के चलते युवा नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की इस योजना के तहत करीब 46 प्रकार की दवाइयों का रिकॉर्ड अलग से रखना होगा। यदि चेकिंग के दौरान कोई डिफाल्टर मिला तो उसकी दुकान पर ताला लगने के साथ ही दवा विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई भी होगी। उल्लेखनीय है कि राज्य के युवा कई जगहों से ऐसी दवाइयों को आसानी से हासिल कर लेतेे हैं, जो उनके लिए नशे का जरिया बन रही हैं। युवा चौरी छिपे अल्प्रेक्स, प्रोक्सीवॉन, क्रॉक्स, नाइट्राजीपॉम जैसी दवाओं को लेकर नशे के तौर पर भी प्रयोग में ला रहे हैं।
जल्द ही दवा दुकानों पर चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। ड्रग इंस्पेक्टर पंकज कुमार ने बताया कि नशे के प्रयोग में लाई जा रही दवाइयों के अलावा टीबी और एंटीबायोटिक दवाइयों का रिकॉर्ड भी मंैटेन करना होगा। इस योजना के तहत हर दवा विक्रेता को दवाइयों की खरीदी, चेकिंग के दौरान स्टॉक और किस डॉक्टर की ओर से दवा लिखी गई है, उसका भी बाकायदा रिकॉर्ड रखना होगा। ड्रग इंस्पेक्टर पंकज कुमार के अनुसार दवा विक्रेताओं के लिए 46 प्रकार की दवाइयों की गाइडलाइन जारी कर दी गई है। वह जो दवाइयां बेचेंगे, उसका रिकॉर्ड अलग से रजिस्टर पर मेंशन करना होगा। इसमें शामिल दवा डॉक्टर की लिखी पर्ची के बिना नहीं दी जा सकती।
किस अस्पताल की पर्ची है और किस डॉक्टर ने दवा लिखी है और किस मरीज को दी है, रिकॉर्ड में शामिल करना होगा। उन्होंने बताया कि जल्द ही चेकिंग अभियान शुरू कर दिया जाएगा। जो भी इसका उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।