रायपुर (छ.ग.) देश के दवा व्यापार में सालों से (जैसें वे दावा करतें हैं) सक्रिय कुछ दवा कंपनी और उनके अधिकारी युवाओं का शोषण बेहिचक करने में लगे हैं। अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का उचित मेहनताना दबा कर बैठे हैं। लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही। केन्द्र एवं राज्य सरकार ने श्रमिकों के हित में जो अधिनियम बनाए हैं, उनकी पालना नहीं जा रही है।
दूसरी ओर, कंपनी की दवाओं की वजह से कई वाक्ए ऐसे हुए जिनमें दवा की वजह से मरीज को रोग में लाभ पहुंचने की बजाय पीड़ा मिली।
कुछ कंपनी की दवाएं जो देश में बगैर किसी रोक-टोक के बिक रहीं हैं उनकी विदेशों में बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ हैं। लेकिन फिर भी प्रतिबंधित दवाओं की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। ये तो रहीं दवा की बात लेकिन कुछ कंपनी और इनके अधिकारी यहीं पर नहीं रूक रहें हैं ये अपनी कंपनी के लिए शहरों-गांवों में घूम कर मुनाफा कई गुना बढ़ाने में सहायक दवा प्रतिनिधियों के जायज वेतन, भत्ते, इन्सेंटिव, बोनस बगैर किसी ठोस कारण के देते नहीं हैं।
कुछ दवा व्यापारियों की भी इसमें भूमिका है। जो सबकुछ जानते हुए भी मुनाफे के कारण इनकी दवाएं आवश्यकता से अधिक खरीदते हैं। राज्य के श्रम, स्वास्थ्य, खाद्य एवं औषधि विभाग की कार्रवाईयों के संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आ रहे।
इसके अलावा कुछ कंपनी में तो श्रमिक हित में आवश्यक कार्यो जैसें पीएफखाता खोलना आदि कि तो सीधे-सीधे अनदेखी की जाती है। वहीं कई मौकों पर बिना किसी ठोस कारण के प्रतिनिधियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता हैं। मजेदार बात यह हैं कि कुछ कंपनी स्वंय को दवा क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में गिनती हैं।