जम्मू। दवा विक्रेताओं की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि अब तो मरीज भी परेशान हो चुके है। साथ ही मरीजों की जेब पर आर्थिक प्रभाव भी पड़ रहा है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में दवा विक्रेताओं की मनमानी से मरीज परेशान हैं। मरीजों को बाजार में दो चार टेबलेट के एवज में पूरी स्ट्रिप लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इससे उनकी जेब पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। इसके साथ उन्हें मजबूरी में अतिरिक्त दवाई भी लेनी पड़ रही हैं, जिसमें मरीज दो-तीन दिन भी ठीक हो जाता है और अतिरिक्त दवाई बेकार चली जाती है। कटिंग की गई स्ट्रिप वाली दवाई भी वापस नहीं ली जाती है।

उधमपुर निवासी राहुल बख्शी ने कहा कि उन्हें दांत में दर्द की शिकायत थी, डॉक्टर ने तीन दिन की दवाई लिखकर दी। लेकिन बाजार जाने पर उन्हें दवा विक्रेता ने तीन दिन के बजाय पूरी स्ट्रिप लेने को कहा, जिससे उन्हें कई चक्कर काटने के बाद पांच दिन की दवा लेनी पड़ी।  जानीपुर निवासी सुमित गुप्ता ने कहा कि उन्हें क्षाती में इंफेक्शन की शिकायत थी, बाजार से तीन दिन की दवाई मांगने पर उन्हें पांच दिन की पूरी स्ट्रिप लेने को कहा गया। जबकि उनके घुटने का दर्द तीन दिन दवाई खाने के बाद ठीक हो गया। उन्होंने कहा कि बाजार में सीमित दवाई के लिए मरीजों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ाया जा रहा है।

जैन बाजार निवासी अनिल मधुमेह से पीड़ित हैं। पिछले दिनों रिहाड़ी में मधुमेह के विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाने पर उन्होंने दवाई लेने की सलाह दी। जिसमें कुछ दवाओं को 2-3 लेने के लिए कहा। इसमें दवा टनेवा एम 20/ 500 भी थी। लेकिन शहरभर के चक्कर काटने पर अनिल को दवा विक्रेताओं ने निर्धारित दिनों की सीमित दवाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद उन्हें मजबूरन पूरी स्ट्रिप लेनी पड़ी। तो वहीं जम्मू-कश्मीर केमिस्ट एसोसिएशन के संयोजक रोहित शर्मा ने कहा कि कोशिश की जाती है कि दवा विक्रेता की ओर से मरीज को मांग के मुताबिक दवा उपलब्ध करवाई जाए, लेकिन दवा विक्रेताओं की एक प्रैक्टिकल समस्या यह है कि बाजार में अधिकांश कंपनियों द्वारा दवा की पैकिंग में एकतरफ बैच, उत्पादन तिथि, एक्सपायरी और कीमत जबकि दूसरी तरफ नाम प्रकाशित किया जा रहा है, जिससे कटिंग करने पर या तो कीमत मिट जाती है या दवा का नाम।

इससे अगला उपभोक्ता उक्त दवा लेेने से मना कर देता है। संबंधित मंत्रालय की ओर से दवा कंपनियों को इस दिशा में दिशा निर्देश जारी होने चाहिए। बता दें कि स्टेट ड्रग कंट्रोलर, ड्रग एंड फूड ऑर्गनाइजेशन लोतिका खजूरिया का कहना है कि कोई भी दवा विक्रेता मरीज को सीमित दवा देने से मना नहीं कर सकता है। ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के प्रावधानों के तहत ऐसे मामलों की पीड़ित शिकायत कर सकते हैं, जिन पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। बाजार से निर्धारित दवा न देने की शिकायतों पर विभाग ने सर्कुलर जारी किया हुआ है।