मेरठ। कोरोना और ब्लैक फंगस जैसी खौफनाक बीमारी ने जहा एक तरफ देश के लोगों को परेशान कर रखा है तो वहीं दूसरी तरफ दवा विक्रेता भी अब परेशान हो चुके है। बताना लाजमी है कि इन तीन दवाइयों की छुट्टी के बाद से कई दवा विक्रेता परेशान हो चुके है। क्यों कि कई ऐसे दवा विक्रेता है जिनके पास इन दवाओं का भारी स्टॉक है और अब ये दवाएं किसी काम की नहीं है। कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से 3 दवाओं की छुट्टी हो गई है। जिसके बाद दवा विक्रेता सिर पकड़ कर बैठ गए हैं। इन दवाओं का काफी स्टॉक उनके पास बचा हुआ है और अब उन्हें लाखों का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि हाल में शासन ने कोविड के इलाज के प्रोटोकॉल से आईवरमेक्टिन, हाइड्रोक्लोरोक्वीन और फैविपीरावीर हटा दी गई हैं। कोरोना संक्रमण के इलाज में डॉक्टर इन दवाइयों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे थे। जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश गुप्ता का कहना है कि बिक्री अचानक बहुत कम हो गई है। ओपीडी भी नहीं चल रही थी। अब मरीज भी कम आने लगे हैं। जिसके बाद काफी स्टॉक दुकानदारों के पास बच गया है और डंप होने की स्थिति में है। कंपनियां दवाइयों को वापस कब और कैसे लेंगी यह भी साफ नहीं है। फिलहाल दुकानदार खुद ही अपना नुकसान झेल रहे हैं।
कोरोना वायरस के इलाज में होम आइसोलेशन में प्रयोग होने वाली किट में शामिल दवाइयों के अलावा लोग विटामिन सी और जिंक से भी मुंह मोड़ रहे हैं। सरकार ने हाल में जो गाइडलाइंस जारी की हैं, उनमें भी इनके प्रयोग का जिक्र नहीं है। अभी तक डॉक्टर बिना कोविड लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले मरीजों में इनके इस्तेमाल की सलाह दे रहे थे। दवा व्यापारी बताते हैं कि पहले डिमांड को देखते हुए इन दवाइयों का भी काफी स्टॉक दुकानदारों ने मंगवा लिया था,लेकिन अब डिमांड लगभग 70 फीसदी घट गई है। जिसकी वजह से दुकानदारों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।
दवाइयों के कोरोना के ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटने के बाद स्टॉक वापस करने पर कई कंपनियों ने चुप्पी साध ली है। दवा एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि कुछ कंपनियां अपने स्टॉक वापस लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन कुछ कंपनियों ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। दवा विक्रेताओं का कहना है कि बाजार में कई दवाइयों की डिमांड बिल्कुल खत्म हो चुकी है। बीते कुछ दिनों में जो दवाइयां आउट ऑफ स्टॉक हो रही थीं, अब उनका लाखों का स्टॉक डंप होने लगा है। दवा व्यापारी भी समझ नहीं पा रहे हैं कि अब इन दवाइयों की खपत कैसे होगी। छोटे दवा व्यापारियों की स्थिति और भी खराब हो चली है।
दवाइयों की बिक्री और डिमांड बहुत कम हो जाने के बाद आप कुछ लोग व्हाट्सएप पर भी दवाई कम रेट में देने का ऑफर देने लगे हैं। व्हाट्सएप पर बनाए गए ग्रुप में इस तरह के के मैसेज भी आ रहे हैं। जिसमें अधिक स्टॉक में दवाइयां लेने के बाद बची दवाइयों को कम दामों में बेचने का ऑफर दिया जा रहा है। दवा विक्रेताओं का कहना है कि हमारे पास लाखों का स्टॉक बचा हुआ है। कुछ कंपनियां दवाइयां वापस ले रही है लेकिन कुछ कंपनियों ने चुप्पी साध ली है। बाजार से डिमांड लगभग खत्म हो गई है और काफी स्टॉक डंप होने की स्थिति में है। अब दवाइयों की डिमांड काफी कम हो गई है। 70 प्रतिशत तक मार्किट डाउन हो गया है। डिमांड जो देखते हुए काफी स्टॉक मंगवाया हुआ था, कुछ कैंसिल होगा और जो बचा है वो डंप स्टॉक में चला जायेगा।