मुंबई। बीएमसी अस्पतालों में दवाओं की कमी दूर करने के लिए जल्द ही अस्पतालों में सप्लाई की जाने वाली दवाओं पर बारकोड अंकित किया जा जाएगा। बारकोड अंकित करने का सुझाव बीएमसी अधिकारियों ने ही दिया था, जिसे दवाओं के इस साल के टेंडर पर लागू किया जाएगा। बता दें कि पहले दवाओं पर लाल निशान लगाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन ठेकेदारों की आनाकानी के बाद बारकोड लगाने का फैसला लिया गया।
गौरतलब है कि बीएमसी अस्पतालों में दवाओं की कमी के चलते मरीजों को अक्सर बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। इससे न केवल मरीजों पर आर्थिक भार बढ़ता है, बल्कि बेवजह की परेशानियां भी होती है। बीएमसी अस्पतालों में दवाओं की कमी और गड़बड़ी पर रोक लगाने के लिए तत्कालीन म्यूनिसिपल कमिश्नर आई.ए. कुंदन ने बीएमसी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली सभी दवाओं पर लाल निशान लगाने का निर्देश दिया था। इस बारे में एक मीटिंग भी हुई, जिसमें टैबलेट और कैप्सूल पर एमसीजीएम प्रिंट करने के साथ ही दवाओं की स्ट्रिप पर बारकोड देने का सुझाव दिया गया, लेकिन ठेकेदारों ने एमसीजीएम प्रिंट करने से इनकार कर दिया और केवल बारकोड देने का फैसला लिया। सेंट्रल पर्चेस डिपार्टमेंट के डेप्यूटी म्यूनिसिपल कमिश्नर रामभाऊ धस ने कहा कि कैप्सूल और टैबलेट पर एमसीजीएम प्रिंट करने को कंपनियां तैयार नहीं थीं। कंपनी का कहना था कि इससे दवा की प्रॉपर्टी में बदलाव आने के साथ ही दूसरी समस्याएं आ सकती हैं। इसलिए दवाओं पर बार कोड छापने का फैसला लिया गया। बीएमसी दवाएं और सामान्य रूप से उपयोग में आने वाली अन्य सामग्रियां खरीदने पर हर दो साल में करीब 450 करोड़ रुपये खर्च करती है। बावजूद इसके समय पर अस्पताल में सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जाती हैं। व्यवस्था के टेक्नॉलोजी से न जुड़े होने के चलते इनकी आपूर्ति का कोई ठोस रिकॉर्ड भी नहीं है। ऐसे में, दवाओं की कमी के मामलों को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने बीएमसी अस्पतालों में दी जाने वाली सभी दवाओं पर बारकोड लगाने का फैसला लिया है। इससे न केवल इनके स्टॉक पर नजर रखी जा सकेगी, बल्कि यह भी पता किया जा सकेगा कि दवाएं अस्पताल के बाहर तो नहीं जा रही हैं? बीएमसी स्वास्थ्य विभाग की एडिशनल कमिश्नर डॉ. अश्विनी जोशी ने कहा कि सेंट्रल पर्चेसिंग डिपार्टमेंट की तरफ से दवाओं की हर स्ट्रिप पर बारकोड अंकित करने का सुझाव आया है, जिसे नए टेंडर से लागू किया जाएगा।