कैलिफोर्निया। शराब सेहत के लिए हानिकारक बताई जाती रही है। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि हफ्ते-दो हफ्ते में सीमित मात्रा में रेड वाइन पीने से रक्त प्रवाह सही बना रहता है। इससे दिल को दुरुस्त रखने में मदद मिलती है। यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया और हटिंगटन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता रॉबर्ट ए क्लोनर के मुताबिक रेड वाइन लाल अंगूर से बनती है। इसके छिल्के, गूदे और बीज में भारी मात्रा में ‘पॉलीफेनॉल’ नाम के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इन्हें कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाने के साथ ही रक्तचाप नियंत्रित रखने में भी कारगर पाया गया है। व्हाइट वाइन के मुकाबले रेड वाइन तैयार करने में अंगूरों में फर्मेंटेशन (किण्वन) की प्रक्रिया को ज्यादा लंबे समय तक अंजाम दिया जाता है। इससे रेड वाइन में अधिक मात्रा में ‘पॉलीफेनॉल’ उपलब्ध हो पाते हैं, खासकर ‘रेसवराट्रॉल’ जो दिल की बीमारियों को दूर रखने में बेहद अहम भूमिका निभाता है। ‘पॉलीफेनॉल’ दरअसल, बैड कोलेस्ट्रॉल कहलाने वाले लो-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) में ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। इससे एलडीएल धमनियों की दीवारों पर नहीं जमता। नतीजतन खून के प्रवाह के दौरान धमनियों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। उनमें रक्त प्रवाह सुचारु रहने से हार्ट अटैक से मौत का खतरा बेहद कम हो जाता है। ‘पॉलीफेनॉल’ हृदय की कोशिकाओं के फलने-फूलने के लिए जरूरी ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने में भी कारगर हैं। रेड वाइन हाई-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन (एचडीएल) यानी ‘गुड कोलेस्ट्रॉल’ का स्तर बढ़ाने में भी मददगार मिली है। एचडीएल बैड कोलेस्ट्रॉल को धमनियों की दीवारों पर चिपकने से रोककर रक्त प्रवाह को सुचारु बनाए रखता है। हफ्ते में दो से तीन गिलास रेड वाइन पीने पर एलडीएल के स्तर में 8 फीसदी कमी और एचडीएल की मात्रा में 17 प्रतिशत वृद्धि लाने में मदद मिल सकती है।